‘1920 में संरक्षित इमारत, बार-बार हुए कई बदलाव…’ संभल जामा मस्जिद विवाद पर ASI का हलफनामा

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नई दिल्ली,30 नवम्बर। संभल की जामा मस्जिद को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। इस मुद्दे पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने अदालत में अपना हलफनामा दाखिल करते हुए मस्जिद के ऐतिहासिक महत्व और संरचना में हुए बदलावों पर अपनी राय जाहिर की है। ASI ने दावा किया है कि यह इमारत 1920 में संरक्षित घोषित की गई थी, लेकिन इसके बाद इसमें कई बार परिवर्तन किए गए, जो इसकी मूल संरचना को प्रभावित कर सकते हैं।

संभल जामा मस्जिद का ऐतिहासिक महत्व

संभल की जामा मस्जिद का निर्माण मुगल काल में हुआ था और इसे भारत के ऐतिहासिक स्थलों में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। 1920 में ब्रिटिश शासन के दौरान इसे संरक्षित इमारत घोषित किया गया था। ASI के अनुसार, इस मस्जिद का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भारतीय विरासत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

ASI का हलफनामा

ASI ने अदालत में कहा कि जामा मस्जिद में समय-समय पर हुए बदलावों ने इसकी मूल संरचना और ऐतिहासिकता पर असर डाला है। हलफनामे में कहा गया है:
“1920 में संरक्षित घोषित किए जाने के बाद, मस्जिद में कई बार निर्माण और मरम्मत कार्य हुए। इन कार्यों में मूल संरचना में बदलाव किए गए, जिससे इसकी ऐतिहासिकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।”

विवाद की जड़

संभल जामा मस्जिद को लेकर विवाद तब शुरू हुआ, जब कुछ समूहों ने दावा किया कि यह स्थान मूल रूप से एक हिंदू मंदिर था, जिसे बाद में मस्जिद में परिवर्तित किया गया। इसके बाद, अदालत में याचिका दायर कर इस स्थल की जांच की मांग की गई। ASI को यह तय करने का आदेश दिया गया कि क्या वास्तव में मस्जिद के नीचे किसी अन्य संरचना के अवशेष हैं।

स्थानीय समुदाय का पक्ष

मस्जिद प्रशासन और स्थानीय मुस्लिम समुदाय ने ASI के हलफनामे पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि मस्जिद में मरम्मत कार्य आवश्यक रखरखाव के तहत किए गए थे और यह कोई नया निर्माण नहीं है। समुदाय ने मस्जिद को ऐतिहासिक धरोहर के रूप में संरक्षित रखने की अपील की है।

अदालती कार्यवाही और आगे की राह

अदालत ने ASI को निर्देश दिया है कि मस्जिद की संरचना और इतिहास की गहन जांच की जाए। ASI ने कहा है कि विवादित स्थल पर खुदाई या अन्य तकनीकी जांच के माध्यम से सटीक जानकारी प्राप्त की जा सकती है। यह मामला अब ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यधिक संवेदनशील हो गया है।

राजनीतिक प्रभाव

संभल जामा मस्जिद का विवाद केवल कानूनी नहीं, बल्कि राजनीतिक रूप भी ले चुका है। विभिन्न राजनीतिक दल और संगठन इस मामले को लेकर बयानबाजी कर रहे हैं, जिससे समाज में तनाव बढ़ने की आशंका है।

निष्कर्ष

संभल जामा मस्जिद विवाद भारतीय इतिहास और धार्मिक स्थलों के महत्व को लेकर एक बार फिर चर्चाओं में है। ASI का हलफनामा यह स्पष्ट करता है कि संरक्षित इमारतों की देखभाल और उनके ऐतिहासिक मूल्यों को बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है। अदालत के फैसले और जांच के निष्कर्ष आने तक यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस मामले का समाधान किस दिशा में जाता है।

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