उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) के नॉर्मलाइजेशन के खिलाफ छात्रों में उबाल, प्रदर्शन जारी

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नई दिल्ली,12 नवम्बर। प्रयागराज: उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) द्वारा परीक्षा परिणामों में नॉर्मलाइजेशन प्रणाली के उपयोग के खिलाफ छात्रों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। हाल के दिनों में प्रयागराज में हजारों की संख्या में छात्रों ने सड़कों पर उतर कर अपना विरोध जताया है। छात्रों का कहना है कि नॉर्मलाइजेशन की प्रणाली से उनके मेहनत के अंक प्रभावित हो रहे हैं और यह उनके लिए अन्यायपूर्ण है।

क्या है नॉर्मलाइजेशन प्रणाली?

नॉर्मलाइजेशन एक सांख्यिकीय प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य विभिन्न शिफ्ट्स में परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों के अंकों में समानता लाना है। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि परीक्षा के अलग-अलग सत्रों में पेपर के कठिनाई स्तर में भिन्नता के कारण छात्रों को नुकसान न हो। हालांकि, कई छात्रों का मानना है कि इस प्रणाली का उपयोग उनके वास्तविक प्रदर्शन को नहीं दर्शाता और यह उनकी मेहनत का सही आकलन करने में विफल हो रही है।

छात्रों के आरोप और मांगें

छात्रों का कहना है कि नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया के कारण कई मेधावी छात्रों के अंक कम हुए हैं और इससे उनके चयन की संभावनाएं प्रभावित हो रही हैं। प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने यह मांग की है कि UPPSC नॉर्मलाइजेशन की प्रणाली को या तो बंद कर दे या इसे और अधिक पारदर्शी तरीके से लागू किया जाए ताकि सभी को समान अवसर मिल सके।

छात्रों ने आरोप लगाया है कि इस प्रणाली के चलते वे अपने सपनों के सरकारी पदों से वंचित हो रहे हैं। उनका कहना है कि नॉर्मलाइजेशन के चलते कुछ उम्मीदवारों को अनुचित लाभ मिल रहा है जबकि अन्य की मेहनत बेकार हो रही है। इसके विरोध में उन्होंने UPPSC कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया और अपने हक के लिए लड़ाई जारी रखने का संकल्प लिया है।

प्रशासन का रुख

UPPSC ने इस मामले में छात्रों की मांगों का जवाब देते हुए कहा कि नॉर्मलाइजेशन का उद्देश्य सभी उम्मीदवारों के प्रति निष्पक्षता बनाए रखना है और यह प्रणाली पहले भी कई अन्य राज्यों में सफलतापूर्वक अपनाई जा चुकी है। आयोग के अनुसार, परीक्षा के कठिनाई स्तर में भिन्नता को दूर करने के लिए यह एक मान्यता प्राप्त तरीका है, लेकिन वे छात्रों की चिंताओं पर भी गौर करेंगे।

हालांकि, छात्रों का कहना है कि उन्हें आयोग से स्पष्ट जवाब चाहिए और इस प्रणाली को पुनः विचार के लिए आयोग द्वारा विस्तृत अध्ययन करना चाहिए। छात्रों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे और न्यायालय का भी सहारा लेने से पीछे नहीं हटेंगे।

आगे की राह

प्रयागराज में छात्रों का विरोध जारी है और वे न्याय के लिए अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं। छात्रों की इस आंदोलन को देखते हुए उत्तर प्रदेश के प्रशासन के लिए यह आवश्यक हो गया है कि वह छात्रों की मांगों पर विचार करे और एक समाधान निकालने का प्रयास करे ताकि भविष्य में ऐसी स्थितियों का सामना न करना पड़े।

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