कोलकाता रेप-मर्डर केस: बंगाल महिला आयोग की निष्क्रियता पर भड़की बीजेपी महिला विंग, आयोग के ऑफिस तक करेगी मार्च
कोलकाता ,30अगस्त। कोलकाता में हाल ही में हुए डॉक्टर रेप-मर्डर केस ने राज्य की राजनीति को हिला कर रख दिया है। इस मामले में बंगाल महिला आयोग की कथित निष्क्रियता को लेकर भाजपा की महिला विंग ने कड़ा रुख अपनाया है। बंगाल भाजपा के अध्यक्ष सुकांता मजूमदार ने इस घटना की निंदा करते हुए महिला आयोग को उसकी जिम्मेदारियों की याद दिलाई और आरोप लगाया कि महिला आयोग इस गंभीर मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है। इसी के विरोध में भाजपा महिला मोर्चा ने आयोग के ऑफिस तक मार्च करने की योजना बनाई है।
बीजेपी महिला विंग का प्रदर्शन
भाजपा महिला मोर्चा ने ऐलान किया है कि वे जल्द ही कोलकाता में महिला आयोग के ऑफिस तक एक विशाल मार्च करेंगे। उनका कहना है कि यह मार्च महिला सुरक्षा के प्रति आयोग की निष्क्रियता और राज्य सरकार की उदासीनता के खिलाफ होगा। महिला मोर्चा का आरोप है कि महिला आयोग ने इस जघन्य अपराध पर कोई कड़ा कदम नहीं उठाया और पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए भी कोई ठोस प्रयास नहीं किया।
सुकांता मजूमदार का बयान
बंगाल भाजपा के अध्यक्ष सुकांता मजूमदार ने ममता बनर्जी की सरकार और बंगाल महिला आयोग पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा, “जब राज्य में महिलाओं की सुरक्षा खतरे में है, तब महिला आयोग की चुप्पी शर्मनाक है। यह उनकी जिम्मेदारी है कि वे महिलाओं की आवाज़ बनें, लेकिन ऐसा लगता है कि वे अपने कर्तव्यों को निभाने में असफल रहे हैं।” मजूमदार ने ममता बनर्जी की सरकार पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि राज्य में महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर मुख्यमंत्री की चुप्पी चिंता का विषय है।
महिला आयोग की भूमिका पर सवाल
बंगाल महिला आयोग की भूमिका पर उठ रहे सवाल कोई नई बात नहीं है। पहले भी आयोग को निष्क्रियता और राजनीतिक दबाव में काम करने के आरोपों का सामना करना पड़ा है। कोलकाता रेप-मर्डर केस ने इस मुद्दे को फिर से उजागर कर दिया है। आयोग की चेयरपर्सन से अपेक्षा की जा रही थी कि वे इस मामले में सख्त रुख अपनाएं और पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए सक्रियता दिखाएं, लेकिन उनकी निष्क्रियता ने विपक्षी दलों को ममता सरकार पर निशाना साधने का मौका दे दिया है।
राजनीतिक सरगर्मियां और विरोध प्रदर्शन
इस घटना के बाद पश्चिम बंगाल में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। भाजपा इस मुद्दे को लेकर ममता बनर्जी सरकार को घेरने की पूरी कोशिश कर रही है। भाजपा का दावा है कि ममता सरकार महिला सुरक्षा के मुद्दे पर पूरी तरह विफल रही है और राज्य में कानून-व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं बची है।
इसके अलावा, भाजपा महिला मोर्चा के मार्च में अन्य महिला संगठन और एनजीओ भी शामिल होने की संभावना है। इन संगठनों का कहना है कि महिलाओं की सुरक्षा किसी एक पार्टी का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह समाज की जिम्मेदारी है। इसलिए, वे भी इस मार्च का हिस्सा बनकर अपनी आवाज़ उठाना चाहते हैं।
महिलाओं की सुरक्षा पर व्यापक बहस की जरूरत
कोलकाता में हुए इस रेप-मर्डर केस ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए केवल कानून बनाना पर्याप्त नहीं है। सरकार और प्रशासन को इसे लागू करने में भी गंभीरता दिखानी होगी। महिला आयोग जैसे संस्थानों की निष्क्रियता न केवल पीड़िता के न्याय को बाधित करती है, बल्कि समाज में महिलाओं के प्रति एक गलत संदेश भी भेजती है।
निष्कर्ष
कोलकाता डॉक्टर रेप-मर्डर केस ने पश्चिम बंगाल में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। भाजपा महिला मोर्चा का महिला आयोग के खिलाफ मार्च एक महत्वपूर्ण कदम है, जो इस मुद्दे पर आयोग की जिम्मेदारियों की याद दिलाता है।
महिला आयोग को अब अपनी निष्क्रियता के आरोपों से उबरकर सक्रियता दिखानी होगी। इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए समाज के हर वर्ग को मिलकर काम करना होगा। सरकार, प्रशासन, और समाज की संयुक्त पहल ही महिलाओं को सुरक्षित माहौल प्रदान कर सकती है। ममता बनर्जी सरकार और महिला आयोग के लिए यह एक महत्वपूर्ण समय है, जहां उन्हें अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लेना होगा और राज्य की महिलाओं को सुरक्षा का विश्वास दिलाना होगा।