भारतीय मूल के ऋषि सुनक अब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री नहीं रहेंगे। कभी वेश्यालय की छत पर रहकर पढ़ाई करने वाले लेबर पार्टी के कीर स्टार्मर ने उन्हें चुनाव में करारी शिकस्त दी है। लेबर पार्टी को संसद की 650 में से 410 सीटें मिली हैं।
स्टार्मर अब ब्रिटेन के 58वें प्रधानमंत्री बनेंगे। उनकी पर्सनालिटी सुनक से एकदम उलट है। भारतवंशी सुनक जहां खुद को धार्मिक बताते रहे हैं, वहीं स्टार्मर भगवान में यकीन नहीं करते। वे सुनक की तरह अरबपति भी नहीं हैं।
स्टार्मर का बचपन मिडिल क्लास परिवार में बीता। वे शुरुआत से ही पढ़ाई के मामले में तेज थे। उन्होंने 11वीं तक की पढ़ाई के बाद ग्रामर स्कूल में दाखिला लिया। पढ़ाई, खेलकूद और म्यूजिक में बेहतरीन प्रदर्शन के कारण उनके भाई-बहन उन्हें ग्रामर स्कूल का सुपरबॉय कहकर बुलाते थे।
स्टार्मर ने कई इंटरव्यू में बताया है कि उनके पिता के साथ उनके संबंध ठीक नहीं थे। वो बताते हैं कि उनके पिता गुस्सैल और चिड़चिड़े स्वभाव के थे। उनका भावनात्मक लगाव सिर्फ मां जोसेफिन के लिए था। वह जब 11 साल के थे तब उनकी मां को एक दुर्लभ बीमारी हो गई थी। जो कुछ-कुछ ऑर्थराइटिस जैसी थी।
इस वजह से वह मुश्किल से चल पाती थीं। 50 सालों तक वह दर्द से जूझती रहीं। जीवन के आखिरी दिनों में उनकी हड्डियां बिस्किट जितनी कमजोर हो गई थी जो हल्के दबाव में भी टूट जाती थीं। उनका खाना, सोना, करवट लेना सब बंद हो गया। दर्द से वह इतनी परेशान हो गईं कि उनके पैर तक काटने पड़ गए। उनका ये दर्द उनकी मौत तक रहा।