साउथ कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी

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नई दिल्ली,31 दिसंबर। साउथ कोरिया में पद से हटाए गए राष्ट्रपति योन सुक योल के खिलाफ मंगलवार को सियोल की एक कोर्ट ने अरेस्ट वारंट जारी कर दिया है। यून को मॉर्शल लॉ लागू करने की नाकामयाब कोशिश के बाद 14 दिसंबर को महाभियोग लाकर पद से हटा दिया गया है।

न्यूज एजेंसी योनहाप के मुताबिक ऐसा देश में पहली बार हो रहा है जब किसी मौजूदा राष्ट्रपति के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया गया है। सियोल की जिला अदालत ने करप्शन इंवेस्टिगेशन ऑफिस (CIO) के सीनियर अधिकारियों के इसके लिए निर्देश दिए हैं।

इसके अलावा उनके राष्ट्रपति आवास की तालाशी लेने के लिए भी आदेश ​​​​दिए गए हैं। यून ने 4 दिसंबर को देर रात देश में इमरजेंसी (मार्शल लॉ) लागू करने की घोषणा की थी।

राष्ट्रपति योल को इमजरेंसी लगाने की जरूरत क्यों पड़ी थी?

दक्षिण कोरिया की संसद में कुल 300 सीटें हैं। इस साल की शुरुआत में हुए चुनाव में जनता ने विपक्षी पार्टी DPK को भारी जनादेश दिया था। सत्ताधारी पीपुल पावर को सिर्फ 108 सीटें मिलीं, जबकि विपक्षी पार्टी DPK को 170 सीटें मिलीं। बहुमत में होने की वजह से विपक्षी DPK, राष्ट्रपति सरकार के कामकाज में ज्यादा दखल दे रही थी, और वे अपने एजेंडे के मुताबिक काम नहीं कर पा रहे थे।

राष्ट्रपति योल ने 2022 में मामूली अंतर से चुनाव जीता था। इसके बाद से उनकी लोकप्रियता घटती चली गई। उनकी पत्नी के कई विवादों में फंसने की वजह से भी उनकी इमेज पर असर पड़ा। फिलहाल राष्ट्रपति की लोकप्रियता 17% के करीब है, जो कि देश के तमाम राष्ट्रपतियों में सबसे कम है।

इन सबसे निपटने के लिए राष्ट्रपति ने मार्शल लॉ लगा दिया। उन्होंने DPK पर उत्तर कोरिया के साथ सहानुभूति रखने और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया।

दक्षिण कोरिया में सिर्फ 6 घंटे में ही क्यों खत्म हुई इमजरेंसी ?

राष्ट्रपति योल के मार्शल लॉ के ऐलान के बाद पूरा विपक्ष थोड़ी ही देर में संसद पहुंच गया। मार्शल लॉ कानून को हटाने के लिए संसद में 150 से ज्यादा सांसद होने चाहिए। जब तक सेना संसद पर कब्जे के लिए पहुंची, पर्याप्त सांसद संसद में पहुंच चुके थे और कार्यवाही शुरू हो गई थी।

हालांकि सेना ने कार्यवाही रोकने की कोशिश की। सांसद में वोटिंग के लिए जा रहे कई विपक्षी सांसदों को हिरासत में ले लिया गया। जवानों ने अंदर घुसने के लिए संसद की खिड़कियां तोड़नी शुरू कीं, लेकिन जब तक जवान भीतर पहुंचते, नेशनल असेंबली के 300 में से 190 सांसदों ने राष्ट्रपति के मार्शल लॉ वाले प्रस्ताव को मतदान कर गिरा दिया।

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