मदरसा स्टूडेंट्स के सरकारी स्कूलों में ट्रांसफर पर रोक-UP सरकार के फैसले पर SC की फिलहाल रोक

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नई दिल्ली,21 अक्टूबर। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें गैर-मान्यता वाले और सरकार के सहयोग से चलने वाले मदरसों के गैर-मुस्लिम स्टूडेंट्स को सरकारी स्कूलों में ट्रांसफर करने का निर्देश दिया गया था।

याचिका जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने लगाई थी, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश को चुनौती दी गई थी। यह आदेश राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की रिपोर्ट पर आधारित था।

रिपोर्ट में कहा गया था कि राइट टु एजुकेशन एक्ट 2009 का पालन नहीं करने वाले मदरसों की मान्यता रद्द हो और सभी मदरसों की जांच की जाए।

CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने आयोग को नोटिस जारी किया। साथ ही NCPCR की रिपोर्ट के आधार पर 7 जून, 25 जून और 27 जून को की गई कार्रवाई पर रोक लगा दी।

बाल आयोग ने कहा था- मदरसों की फंडिंग बंद करें, ये बेसिक शिक्षा नहीं देते 8 दिन पहले राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (NCPCR) ने सभी राज्यों को लेटर लिखकर कहा था कि मदरसों को दिया जाने वाला फंड बंद कर देना चाहिए। ये राइट-टु-एजुकेशन (RTE) नियमों का पालन नहीं करते हैं।

आयोग ने ‘आस्था के संरक्षक या अधिकारों के विरोधी: बच्चों के संवैधानिक अधिकार बनाम मदरसे’ नाम से एक रिपोर्ट तैयार करने के बाद ये सुझाव दिया था।

NCPCR ने कहा था- मदरसों में पूरा फोकस धार्मिक शिक्षा पर रहता है, जिससे बच्चों को जरूरी शिक्षा नहीं मिल पाती और वे बाकी बच्चों से पिछड़ जाते हैं।

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