आरजेडी और हरा गमछा: क्या पार्टी की पहचान से दूरी लालू यादव की राजनीति से आगे बढ़ने का संकेत है?
नई दिल्ली,6 सितम्बर। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के लिए हरा गमछा एक समय पार्टी की पहचान और जनाधार का प्रतीक रहा है। हरा रंग, खासकर गमछा, लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व वाली पार्टी की राजनीतिक पहचान से जुड़ा हुआ था। लेकिन अब पार्टी इससे धीरे-धीरे दूरी बनाती दिख रही है। सवाल उठता है कि आखिर इसके पीछे की वजह क्या है? क्या यह बदलाव लालू यादव की राजनीति से आगे बढ़ने की कोशिश है, या पार्टी के भीतर और बिहार की राजनीति में नए समीकरणों का परिणाम?
हरा गमछा और आरजेडी की पहचान
आरजेडी का गठन 1997 में हुआ, जब लालू यादव ने जनता दल से अलग होकर अपनी नई पार्टी बनाई। शुरू से ही, पार्टी की पहचान में हरे रंग का विशेष महत्व रहा। हरा गमछा, जो कि ग्रामीण और पिछड़े वर्गों के बीच बहुत प्रचलित है, लालू यादव की राजनीति का प्रतीक बन गया। यह हरा रंग सामाजिक न्याय, पिछड़ों और मुसलमानों के गठबंधन का प्रतिनिधित्व करता था, जो लालू यादव के वोट बैंक का मुख्य आधार था।
हरे गमछे से दूरी की वजहें
हालांकि, हाल के वर्षों में आरजेडी ने अपनी राजनीतिक पहचान में कुछ बदलाव किए हैं। पार्टी ने हरा गमछा और इस प्रतीक से दूरी बनानी शुरू कर दी है। इसके पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं:
नई पीढ़ी की राजनीति: लालू यादव के बेटे, तेजस्वी यादव, अब आरजेडी के प्रमुख चेहरे के रूप में उभर रहे हैं। तेजस्वी की राजनीति और उनका नेतृत्व अपने पिता के समय की राजनीति से कुछ अलग नजर आता है। वे एक अधिक समावेशी और आधुनिक छवि पेश करने की कोशिश कर रहे हैं, जो सिर्फ पिछड़े और मुसलमानों तक सीमित न हो, बल्कि अन्य जातियों और वर्गों को भी साथ लाए। हरा गमछा, जो एक विशिष्ट जातिगत पहचान से जुड़ा था, इस नई छवि के अनुरूप नहीं बैठता।
वोट बैंक का विस्तार: आरजेडी की परंपरागत राजनीति यादव और मुस्लिम वोट बैंक पर केंद्रित थी, लेकिन बदलते समय के साथ पार्टी को यह समझ आ गया है कि बिहार की राजनीति में बने रहने के लिए उसे अपने वोट बैंक का विस्तार करना होगा। उच्च जातियों और अन्य पिछड़े वर्गों को भी साथ लाने के लिए पार्टी को अपनी पहचान और प्रतीकों में बदलाव करना आवश्यक हो गया है।
बदलता राजनीतिक परिदृश्य: बिहार में भाजपा और जदयू के गठबंधन ने सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों को बदला है। ऐसे में, आरजेडी को अपने पुराने प्रतीकों और रणनीतियों से अलग होकर नए राजनीतिक गठजोड़ बनाने की जरूरत है। हरा गमछा जैसे प्रतीक, जो एक विशिष्ट समुदाय तक सीमित थे, पार्टी को नए वोटरों से जोड़ने में बाधा बन सकते हैं।
लालू यादव की राजनीति से आगे बढ़ने की कोशिश
हरा गमछा से दूरी बनाने की इस पहल को लालू यादव की पारंपरिक राजनीति से आगे बढ़ने के प्रयास के रूप में भी देखा जा सकता है। लालू यादव की राजनीति सामाजिक न्याय और पिछड़े वर्गों के उत्थान पर आधारित रही है, लेकिन अब समय बदल गया है और तेजस्वी यादव नई राजनीति की ओर पार्टी को ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी प्राथमिकता है कि पार्टी को एक व्यापक जनाधार और अधिक प्रगतिशील पहचान मिले, जो सिर्फ जातिगत समीकरणों पर आधारित न हो।
आरजेडी के भविष्य की दिशा
हरा गमछा से दूरी बनाकर आरजेडी यह संदेश देना चाहती है कि वह अब सिर्फ एक जातिगत पार्टी नहीं रह गई है, बल्कि बिहार की राजनीति में एक नई सोच और व्यापक दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ रही है। तेजस्वी यादव का नेतृत्व पार्टी को एक आधुनिक और समावेशी छवि देने की कोशिश कर रहा है, जिसमें हर वर्ग और जाति के लोग अपनी जगह पा सकें।
निष्कर्ष
हरा गमछा आरजेडी की पहचान का एक महत्वपूर्ण प्रतीक रहा है, लेकिन पार्टी अब इससे दूरी बनाकर खुद को एक नई दिशा में ले जाने की कोशिश कर रही है। यह बदलाव पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जो लालू यादव की पारंपरिक राजनीति से आगे बढ़कर नए सामाजिक और राजनीतिक गठबंधनों की ओर इशारा करता है। तेजस्वी यादव के नेतृत्व में आरजेडी अपनी पहचान को नया रूप देने के प्रयास में है, ताकि वह बिहार की बदलती राजनीति में खुद को प्रासंगिक बनाए रख सके।