अमेरिका ,5 सितम्बर।डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति, का पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर विवादास्पद रुख हमेशा चर्चा में रहा है। ट्रंप के कार्यकाल के दौरान उनकी नीतियों को लेकर पर्यावरण एक्टिविस्टों ने कई बार चिंता जताई, और अब जब वह दोबारा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं, यह चिंता और बढ़ गई है। पर्यावरण कार्यकर्ताओं का मानना है कि यदि ट्रंप फिर से राष्ट्रपति बने तो जलवायु परिवर्तन के खिलाफ की जा रही अब तक की कोशिशें बर्बाद हो सकती हैं।
ट्रंप की नीतियां: पर्यावरण के खिलाफ?
ट्रंप के राष्ट्रपति कार्यकाल (2017-2021) के दौरान उन्होंने कई ऐसी नीतियां अपनाई थीं, जो पर्यावरण संरक्षण के विपरीत मानी गईं। सबसे प्रमुख कदम था पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका का बाहर निकलना। ट्रंप ने तर्क दिया कि यह समझौता अमेरिका की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहा था और अमेरिका के हितों के खिलाफ था। उनके इस फैसले की दुनियाभर में आलोचना हुई, खासकर उन देशों और संगठनों द्वारा जो जलवायु परिवर्तन को एक गंभीर वैश्विक समस्या मानते हैं।
औद्योगिक नियमों में ढील
ट्रंप प्रशासन ने उद्योगों के लिए पर्यावरण संबंधी नियमों में ढील दी, जिससे कार्बन उत्सर्जन पर नियंत्रण कमजोर हो गया। उनके कार्यकाल में कई ऐसे फैसले लिए गए, जो कोयला, तेल और गैस जैसे पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए थे। उनका मानना था कि पर्यावरण संबंधी कड़े नियमों से अमेरिकी कंपनियों की प्रतिस्पर्धात्मकता घट रही है, और उन्होंने इसे बदलने के लिए कई कदम उठाए।
क्लाइमेट चेंज: ट्रंप का विवादास्पद दृष्टिकोण
ट्रंप अक्सर क्लाइमेट चेंज को गंभीरता से लेने से इंकार करते रहे हैं। उन्होंने इसे “धोखा” तक कहा और बार-बार इस पर सवाल उठाया कि क्या जलवायु परिवर्तन वास्तव में एक मानवजनित समस्या है। उनके इस रुख ने न केवल अमेरिका में, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी पर्यावरण एक्टिविस्टों को चिंतित कर दिया था। ट्रंप के अनुसार, आर्थिक विकास और औद्योगिक विकास प्राथमिकता होनी चाहिए, भले ही इसके परिणामस्वरूप पर्यावरणीय नुकसान हो।
दोबारा चुनाव: पर्यावरण के लिए चिंता
अब जब ट्रंप 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा लेने की तैयारी कर रहे हैं, पर्यावरण कार्यकर्ताओं की चिंता फिर से बढ़ गई है। उनका मानना है कि यदि ट्रंप दोबारा चुनकर आए, तो जलवायु परिवर्तन के खिलाफ चल रही वैश्विक कोशिशों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
बाइडन प्रशासन और ट्रंप का अंतर
वर्तमान में, जो बाइडन प्रशासन ने फिर से पेरिस जलवायु समझौते में अमेरिका की वापसी कराई और ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए कई नीतियों की शुरुआत की। बाइडन प्रशासन के इन कदमों से यह स्पष्ट हो गया है कि वे जलवायु परिवर्तन को एक गंभीर मुद्दा मानते हैं और इससे निपटने के लिए ठोस कदम उठाने के पक्ष में हैं। ऐसे में ट्रंप का दोबारा चुनाव जीतना उन नीतियों पर पुनर्विचार ला सकता है, जिससे जलवायु परिवर्तन की चुनौती को हल करने की दिशा में की जा रही प्रगति रुक सकती है।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां और उनके कार्यकाल के दौरान पर्यावरण पर दिए गए बयानों ने पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन पर बड़े सवाल खड़े किए हैं। जहां एक ओर उनके समर्थक उनकी आर्थिक नीतियों की तारीफ करते हैं, वहीं दूसरी ओर पर्यावरण कार्यकर्ताओं को आशंका है कि यदि ट्रंप दोबारा सत्ता में आए, तो जलवायु परिवर्तन पर की जा रही वैश्विक कोशिशों को नुकसान हो सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी चुनाव में पर्यावरण का मुद्दा किस हद तक राजनीतिक बहस का केंद्र बनता है और क्या इससे ट्रंप के चुनावी भाग्य पर असर पड़ेगा।