‘बांग्लादेश में 1 अक्टूबर 2001 को एक घटना हुई थी। बहुसंख्यकों ने वहां की एक हिंदू फैमिली पर हमला किया, फिर उन्हें मार दिया। घर में 14 साल की बच्ची थी। जेहादियों ने उस बच्ची के साथ गैंगरेप किया। मंजर इतना खौफनाक था कि उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। मां को लगा कि उसकी बेटी अब मर जाएगी। उसने उन दानवों से रोते हुए कहा कि एक-एक करके करो, वर्ना मेरी बच्ची मर जाएगी।
एक मां के मुख से निकले शब्द अपने आप में किसी की आत्मा झकझोर देंगे। यह घटना उस वक्त तो दबा दी गई, लेकिन बांग्लादेश की राइटर तस्लीमा नसरीन ने जब इस बर्बरता पर एक किताब लिखी, तब यह मामला बड़े लेवल पर हाईलाइट हुआ।
इसी फैमिली की एक दूसरी बच्ची किसी तरह वहां से बचकर निकल जाती है और पश्चिम बंगाल में पनाह लेती है। हालांकि, पश्चिम बंगाल में उसे भी काफी उत्पीड़न झेलना पड़ता है। वो लव जिहाद का शिकार होती है, रोहिंग्या मुसलमान उसका शोषण करते हैं।’
ये बातें बताई हैं, वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र त्यागी ने। वसीम रिजवी लखनऊ शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष रह चुके हैं। उन्होंने कुछ समय पहले हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया है। अब वे पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति पर एक फिल्म लेकर आ रहे हैं, जिसका टाइटल है- द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल। वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र त्यागी ने कहा कि आज बांग्लादेश में हिंदुओं की जो वर्तमान स्थिति है, उन्होंने फिल्म में पहले ही वो सब दिखा दिया है। फिल्म 6 महीने पहले ही शूट हो चुकी है।
हमने वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र त्यागी से इस सेंसिटिव मुद्दे पर फिल्म बनाने की वजह पूछी। क्या वे इसके जरिए सच्चाई दिखाना चाहते हैं या फिर किसी खास धर्म को टारगेट करना चाहते हैं। उन्होंने एक-एक करके हमारे सभी सवालों के जवाब दिए।