बांग्लादेश ,12अगस्त। बांग्लादेश वर्तमान में गंभीर राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। सत्ता से हटाई जा चुकी पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपनी सुरक्षा के मद्देनजर बांग्लादेश छोड़कर भारत की शरण ली है। 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना भारत पहुंचीं और सुरक्षा कारणों से देश छोड़ने की आवश्यकता पड़ी।
शेख हसीना का यह कदम बांग्लादेश में उत्पन्न हो रहे राजनीतिक संकट और हिंसा के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। बांग्लादेश की राजनीति में चल रही उठापटक और हिंसा ने स्थिति को अत्यंत संवेदनशील बना दिया है, जिसके चलते पूर्व प्रधानमंत्री को अपनी जान का खतरा महसूस हुआ।
भारत ने शेख हसीना को अस्थायी शरण प्रदान की है, जिससे उन्हें और उनके सुरक्षा दल को सुरक्षित स्थान पर रखा जा सके। इस कदम से यह संकेत मिलता है कि भारत क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से ले रहा है।
हालांकि, भारत खुद 1951 के शरणार्थी सम्मेलन और 1967 के प्रोटोकॉल का सदस्य नहीं है, जो वैश्विक स्तर पर शरणार्थियों के अधिकारों और सुरक्षा को मान्यता देता है। इस कारण भारत पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव और आलोचनाएं भी बढ़ सकती हैं, लेकिन भारत ने मानवीय आधार पर शेख हसीना को शरण प्रदान करने का निर्णय लिया है।
भारत का शरण प्रदान करने का निर्णय क्षेत्रीय राजनीति और बांग्लादेश में चल रहे संकट के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस निर्णय ने यह भी स्पष्ट किया है कि भारत शरणार्थियों और राजनीतिक शरणार्थियों के मामले में संवेदनशीलता और मानवता को प्राथमिकता देता है, भले ही वह अंतर्राष्ट्रीय शरणार्थी सम्मेलन का हिस्सा न हो।
अब देखना यह होगा कि बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति में सुधार होता है या नहीं और शेख हसीना की वापसी की संभावनाओं पर क्या असर पड़ता है। फिलहाल, शेख हसीना का भारत में शरण लेना एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम है, जो बांग्लादेश की वर्तमान अस्थिरता की गंभीरता को उजागर करता है।