नई दिल्ली,8अगस्त। पेरिस ओलंपिक 2024 में 7 अगस्त का दिन भारत के खेल प्रेमियों के लिए काफी निराशाजनक रहा। इस दिन भारत दो मेडल जीतने के बेहद करीब था, लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया। पहले विनेश फोगाट और फिर मीराबाई चानू, दोनों ही खिलाड़ियों ने मेडल की दौड़ में उम्मीदों को तोड़ा।
विनेश फोगाट का निराशाजनक प्रदर्शन
पहले पहलवान विनेश फोगाट की बात करें तो उनका प्रदर्शन उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहा। विनेश फोगाट को वजन के मामूली अंतर के कारण डिस्क्वालिफाई कर दिया गया। यह एक बड़ा झटका था क्योंकि विनेश से मेडल की बड़ी उम्मीदें थीं। विनेश फोगाट का यह निराशाजनक अनुभव उनकी मेहनत और तैयारी पर पानी फेर गया।
मीराबाई चानू का संघर्ष
इसके बाद भारोत्तोलक मीराबाई चानू की बारी आई, जिन्होंने महिलाओं की 49 किलोग्राम भार वर्ग में भाग लिया। मीराबाई चानू का प्रदर्शन शानदार रहा, लेकिन आखिरी मौके पर वे गोल्ड मेडल से चूक गईं। उन्होंने सिल्वर मेडल जीता, लेकिन उनके और गोल्ड मेडल के बीच का अंतर मामूली था। मीराबाई चानू के इस प्रदर्शन ने भारतीय खेल प्रेमियों को गर्वित तो किया, लेकिन गोल्ड मेडल की उम्मीद टूटने से निराशा भी हुई।
खिलाड़ियों की मेहनत और उम्मीदें
विनेश फोगाट और मीराबाई चानू दोनों ही खिलाड़ी भारतीय खेल जगत के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। उनकी मेहनत और समर्पण पर किसी को भी संदेह नहीं है। हालांकि, खेल में कभी-कभी भाग्य भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और इस बार यह भारतीय खिलाड़ियों के पक्ष में नहीं था।
सामाजिक और मानसिक दबाव
इन निराशाओं के बावजूद, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि खिलाड़ियों पर किस तरह का मानसिक और सामाजिक दबाव होता है। ओलंपिक जैसे बड़े मंच पर प्रदर्शन करना आसान नहीं होता और इस बार भारतीय खिलाड़ियों ने अपनी पूरी कोशिश की।
भविष्य की उम्मीदें
पेरिस ओलंपिक 2024 में 7 अगस्त का दिन भले ही भारत के लिए निराशाजनक रहा हो, लेकिन इससे खिलाड़ियों का मनोबल टूटना नहीं चाहिए। हमें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में भारतीय खिलाड़ी और बेहतर प्रदर्शन करेंगे और देश के लिए गौरव का कारण बनेंगे।
खेलों में हार-जीत लगी रहती है, लेकिन इससे खिलाड़ियों की मेहनत और समर्पण को कम नहीं आंका जा सकता। भारतीय खेल प्रेमियों को अपने खिलाड़ियों पर गर्व है और भविष्य में और भी शानदार प्रदर्शन की उम्मीद है।