नेपाल में मौसम का कहर: भूस्खलन में दो बसें त्रिशूली नदी में बहीं, सात भारतीयों समेत 65 लोग लापता
नेपाल में हाल ही में मौसम का कहर भारी पड़ा है। देश के विभिन्न हिस्सों में भारी बारिश और भूस्खलन ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। इस प्राकृतिक आपदा में दो बसें त्रिशूली नदी में बह गईं, जिसमें सात भारतीय नागरिकों समेत 65 लोग लापता हो गए हैं।
घटना का विवरण
नेपाल के चितवन जिले में हुई इस घटना में भारी बारिश के कारण भूस्खलन हुआ, जिससे दो बसें त्रिशूली नदी में जा गिरीं। यह हादसा स्थानीय समयानुसार देर रात हुआ जब यात्री अपनी यात्रा के दौरान सो रहे थे। त्रिशूली नदी अपनी तेज धारा और गहरी खाईयों के लिए जानी जाती है, जिससे बचाव कार्य भी चुनौतीपूर्ण हो गया है।
लापता लोगों की तलाश
नेपाल के बचाव दल, जिसमें सेना और पुलिस के जवान शामिल हैं, लापता लोगों की तलाश में जुटे हैं। खराब मौसम और तेज धारा के कारण बचाव कार्य में दिक्कतें आ रही हैं। नेपाल सरकार ने सभी संसाधनों को जुटाकर इस अभियान को तेजी से आगे बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। भारतीय दूतावास ने भी अपने नागरिकों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं और सहायता प्रदान करने की पेशकश की है।
परिजनों की व्यथा
लापता लोगों के परिजन बेहद चिंतित और दुखी हैं। उनमें से कई नेपाल पहुँच चुके हैं और अपने प्रियजनों की खोजबीन में लगे हुए हैं। भारतीय नागरिकों के परिजन भी भारत से नेपाल पहुंच रहे हैं और अपने प्रियजनों के बारे में जानकारी प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं।
सरकार की प्रतिक्रिया
नेपाल सरकार ने इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की है और पीड़ितों के परिवारों को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है। प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने इस आपदा को राष्ट्रीय त्रासदी करार देते हुए सभी सरकारी एजेंसियों को तेजी से राहत और बचाव कार्य में जुटने का आदेश दिया है।
अंतरराष्ट्रीय समर्थन
इस आपदा के बाद, भारत समेत कई देशों ने नेपाल को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है। भारत सरकार ने नेपाल सरकार के साथ समन्वय स्थापित कर अपने बचाव दल और राहत सामग्री भेजने की तैयारी की है।
भविष्य की चुनौतियां
नेपाल एक पहाड़ी देश है और यहाँ भूस्खलन और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएँ आम हैं। इस प्रकार की घटनाओं से निपटने के लिए नेपाल को अपनी आपदा प्रबंधन प्रणाली को और मजबूत बनाने की आवश्यकता है। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय समुदाय का सहयोग और तकनीकी सहायता भी महत्वपूर्ण हो सकती है।
इस दुखद घटना ने एक बार फिर से यह स्पष्ट कर दिया है कि प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए तैयारी और त्वरित प्रतिक्रिया कितनी महत्वपूर्ण है। नेपाल और उसके पड़ोसी देशों को मिलकर इस प्रकार की चुनौतियों से निपटने के लिए और अधिक ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।