पहले न्यूजीलैंड…ऑस्ट्रेलिया…और फिर बांग्लादेश को हराते हुए अफगानिस्तान की टीम पहली बार सेमीफाइनल में पहुंच गई है। न सिर्फ सेमीफाइनल, बल्कि सुपर 8 में भी पहली बार ही अफगानिस्तान ने जगह बनाई।
कप्तान राशिद खान कह चुके हैं कि अफगानिस्तान के लिए खुशियों का जरिया सिर्फ क्रिकेट है। राशिद ही नहीं, पूरी टीम कह रही है, ये सिर्फ शुरुआत है, मंजिल बाकी है। यानी जीत से कम किसी को भी कुछ मंजूर नहीं है। दूसरी ओर है साउथ अफ्रीका, जो लीग स्टेज में अपराजित दिखती है, लेकिन नॉकआउट में टीम के नाम पर एक दाग लगा है, चोकर्स का। देखना ये है कि अफगानिस्तान नया इतिहास लिखती है या फिर साउथ अफ्रीका अपने नाम पर लगा चोकर्स का धब्बा धो देती है।
चोकर्स यानी बड़े मौकों पर दबाव के आगे बिखर जाने वाले। साउथ अफ्रीका की काबिलियत के साथ ये काला साया 32 साल से साथ चल रहा है। वनडे, टेस्ट या फिर टी-20 हर फॉर्मेंट में अपने क्रिकेट का डंका बजा चुकी ये टीम कभी भी वर्ल्ड कप फाइनल नहीं खेली। 13 बार सेमीफाइनल खेल चुकी है, लेकिन हर बार हार गई। कभी बारिश ने धोखा दिया, कभी किस्मत ने। जीत कभी हासिल नहीं हुई।