CJI गवई का बयान: बुलडोजर एक्शन का मतलब कानून तोड़ना नहीं हो सकता

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नई दिल्ली, 4 अक्तूबर 2025 । देश के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच में शामिल CJI जस्टिस बी. आर. गवई ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि “बुलडोजर एक्शन का मतलब कानून तोड़ना नहीं हो सकता”। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह बात उन्होंने उन मामलों में कही जहां अवैध निर्माण या दंगे के आरोपियों के घरों को तोड़ने की कार्रवाई पर सवाल उठाए गए थे। चीफ जस्टिस (CJI) बीआर गवई ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय न्याय व्यवस्था रूल ऑफ लॉ यानी (कानून के शासन) से चलती है, इसमें बुलडोजर एक्शन की जगह नहीं है। CJI मॉरीशस में आयोजित सर मॉरिस रॉल्ट मेमोरियल लेक्चर 2025 में बोल रहे थे।

तीन तलाक जैसे अन्यायपूर्ण कानून खत्म किए

CJI ने तीन तलाक खत्म करने, व्यभिचार कानून को निरस्त करने, चुनावी बॉन्ड स्कीम और निजता को मौलिक अधिकार मानने जैसे फैसलों का भी जिक्र किया। गवई ने कहा कि इन सभी फैसलों ने दिखाया कि अदालत ने रूल ऑफ लॉ को एक ठोस सिद्धांत बनाया है, जिससे मनमाने और अन्यायपूर्ण कानून खत्म किए गए।

भारत में रूल ऑफ लॉ नैतिक और सामाजिक ढांचा

CJI गवई ने कहा कि भारत में रूल ऑफ लॉ केवल नियमों का सेट नहीं है, बल्कि यह नैतिक और सामाजिक ढांचा है, जो समानता, गरिमा और सुशासन सुनिश्चित करता है। उन्होंने महात्मा गांधी और डॉ. भीमराव अंबेडकर के योगदान का हवाला देते हुए कहा कि उनका दृष्टिकोण बताता है कि लोकतंत्र में कानून का राज ही समाज को न्याय और जवाबदेही की ओर ले जाता है।

24 सितंबर- बुलडोजर एक्शन के खिलाफ आदेश देना संतोषजनक

इससे पहले CJI गवई ने 24 सितंबर को कहा था कि बुलडोजर एक्शन के खिलाफ आदेश देने पर उन्हें बेहद संतुष्टि मिली थी। इस फैसले में मानवीय पहलू भी जुड़ा था। किसी परिवार को सिर्फ इसलिए परेशान नहीं किया सकता कि उस परिवार का एक सदस्य अपराधी है।

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