ED का दावा — अल-फलाह समूह के चेयरमैन विदेश भागने वाले थे

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नई दिल्ली, 20 नवम्बर 2025 । राष्ट्रीय जांच एजेंसी Enforcement Directorate (ED) ने अदालत में यह गंभीर आरोप लगाया है कि अल-फलाह समूह (Al Falah Group) के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दिकी के पास विदेश भागने के “प्रेरणा” (incentives) थे। एजेंसी का कहना है कि उनकी घनिष्ठ परिवार की जड़ें गल्फ़ देशों में हैं, और वे कम-से-कम ₹415 करोड़ के कथित “दाग़दार” फंड्स के मालिक हैं, जिन्हें शिक्षा और विश्वविद्यालय संस्थानों के नाम पर इकट्ठा किया गया था।

दिल्ली ब्लास्ट के आतंकी डॉक्टरों की ‘पनाहगार’ रही फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) का शिकंजा कस गया है। ED ने बुधवार को यूनिवर्सिटी के चेयरमैन जवाद को साकेत कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद जवाद को 13 दिन की रिमांड पर ED को सौंप दिया।

ED के मुताबिक सिद्दीकी का परिवार खाड़ी देशों में बसा है। वह भी विदेश भागने की तैयारी में था। अगर उसे गिरफ्तार नहीं किया जाता तो वो विदेश भागकर जांच से बच सकता था। सबूत मिटा सकता था।

ED ने कोर्ट को बताया कि 1990 के दशक के बाद अल-फलाह ग्रुप ने तेजी से तरक्की की और एक बड़ा शैक्षणिक संस्थान बन गया। हालांकि, ग्रुप की वित्तीय स्थिति और उसकी संपत्तियों के बीच बड़ा अंतर है।

इधर, जवाद के महू में बने मकान को अवैध घोषित कर दिया गया है। इसके साथ ही 3 दिन का अल्टीमेटम दिया गया है। उसके बाद कैंट बोर्ड सख्ती के साथ इसे हटाने की कार्रवाई करेगा।

दूसरी तरफ, अल-फलाह यूनिवर्सिटी में काम करने या पढ़ाई करने वाले 10 लोग लापता हैं। इनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है। इनमें 3 कश्मीरी हैं। उनके फोन बंद आ रहे हैं। जम्मू-कश्मीर और हरियाणा पुलिस इन्हें खोजने में जुटी है। ED का दावा है कि अल-फलाह समूह के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दिकी अपने इंडक्शन नेटवर्क और संपत्ति के ज़रिए देश से भागने की तैयारी कर रहे थे, ताकि जांच से बचा जा सके।
यदि ये आरोप सही साबित हुए, तो यह सिर्फ वित्तीय धोखाधड़ी नहीं बल्कि एक संगठित तंत्र का हिस्सा हो सकता है जिसमें शिक्षा संस्थानों का दुरुपयोग हो रहा हो।
अब अदालत की भूमिका और ED की आगे की जांच रणनीति इस पूरे प्रकरण की दिशा तय करेगी।

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