मोदी BRICS वर्चुअल समिट से दूर रहेंगे: क्या है भारत का संदेश?
नई दिल्ली । 06 सितम्बर 25 । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार होने वाली BRICS की वर्चुअल समिट में शामिल नहीं होंगे। विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक रूप से इसकी पुष्टि की है। मोदी की अनुपस्थिति को लेकर कई तरह के राजनीतिक और कूटनीतिक संकेत निकाले जा रहे हैं। माना जा रहा है कि यह फैसला भारत की बदलती प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय समीकरणों से जुड़ा हुआ है।
ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा की ओर से बुलाए गए 8 सितंबर को BRICS नेताओं के वर्चुअल समिट में भारत का प्रतिनिधित्व पीएम मोदी की जगह विदेश मंत्री एस जयशंकर करेंगे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को बयान जारी कर इसकी जानकारी दी।
उन्होंने कहा- भारत की ओर से इसमें विदेश मंत्री भाग लेंगे। यह सम्मेलन अमेरिका के लगाए गए टैरिफ से निपटने के तरीकों और बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने पर चर्चा करेगा। ब्राजील इसे अमेरिका विरोधी शिखर सम्मेलन के रूप में पेश नहीं कर रहा है।
हालांकि, एक्सपर्ट्स के मुताबिक मोदी का न शामिल होना यह दिखाता है कि भारत 2026 BRICS समिट की अध्यक्षता से पहले सावधानी बरत रहा है। इससे पहले अमेरिका भारत को टैरिफ वापस लेने के बदले BRICS छोड़ने की मांग कर चुका है।
अमेरिका के उद्योग मंत्री बोले थे- भारत को BRICS छोड़ना होगा
वहीं, अमेरिका के उद्योग मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने शुक्रवार को ब्लूमबर्ग टीवी से बात करते हुए भारत पर 25% एक्स्ट्रा टैरिफ हटाने के लिए तीन शर्त रखीं।
उन्होंने कहा कि भारत को रूस से तेल खरीदना बंद करना पड़ेगा, BRICS से अलग होना होगा और अमेरिका का सपोर्ट करना होगा।
उन्होंने कहा कि अगर आप (भारत) रूस और चीन के बीच ब्रिज बनना चाहते हैं तो बनें, लेकिन या तो डॉलर का या अमेरिका का समर्थन करें। अपने सबसे बड़े ग्राहक का सपोर्ट करें या 50% टैरिफ चुकाएं।
हालांकि, उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि भारत जल्द ही अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते की बातचीत में शामिल होगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका हमेशा बातचीत के लिए तैयार है।
लुटनिक बोले- भारत एक-दो महीने में माफी मांगेगा
लुटनिक ने यह भी कहा कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव है, लेकिन जल्द ही भारत माफी मांगकर राष्ट्रपति ट्रम्प के साथ बातचीत की टेबल पर आएगा।
उन्होंने कहा कि एक-दो महीने में भारत ट्रम्प के साथ बातचीत की टेबल पर आएगा और माफी मांगेगा। लुटनिक के मुताबिक, भारत ट्रम्प के साथ नया सौदा करने की कोशिश करेगा। यह सौदा ट्रम्प की शर्तों पर होगा और वे प्रधानमंत्री मोदी के साथ इसे अंतिम रूप देंगे।
अमेरिका क्यों चाहता है कि भारत ब्रिक्स छोड़ दे?
अमेरिका का भारत से ब्रिक्स (BRICS) छोड़ने की इच्छा जताने अहम वजह भू-राजनीतिक और आर्थिक हितों से जुड़ा है।
- रूस और चीन के साथ भारत की निकटता: अमेरिका को लगता है कि ब्रिक्स में भारत की मौजूदगी रूस और चीन के प्रभाव को बढ़ाती है, जो अमेरिका के विरोधी माने जाते हैं।
- रूसी तेल खरीद पर आपत्ति: भारत ने यूक्रेन संकट के बाद रूस से सस्ता तेल खरीदना शुरू किया, जो पहले 2% था और अब 40% तक पहुंच गया है। अमेरिका इसे गलत मानता है और चाहता है कि भारत रूसी तेल न खरीदे, क्योंकि यह रूस की अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है।
- टैरिफ की धमकी: अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लगाया है। लुटनिक ने कहा कि अगर भारत ब्रिक्स में रहता है तो उसे भारी टैरिफ का सामना करना पड़ेगा। वे मानते हैं कि भारत अमेरिकी बाजार (जो भारत का सबसे बड़ा ग्राहक है) पर निर्भर है, इसलिए वह जल्द ही अमेरिका के साथ समझौता करेगा।
- डी-डॉलराइजेशन का डर: अमेरिका को चिंता है कि ब्रिक्स देश वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में डॉलर को चुनौती दे सकते हैं। अमेरिका चाहता है कि भारत इस तरह के किसी भी प्रयास से अलग रहे।
- भारत की रणनीतिक बढ़त: भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति के तहत ब्रिक्स और अमेरिका दोनों के साथ संतुलन बनाए रखना चाहता है। लेकिन अमेरिका को लगता है कि भारत का ब्रिक्स में रहना उसकी पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका, के साथ बढ़ती साझेदारी के खिलाफ है।
भारत ने बार-बार कहा है कि वह ब्रिक्स को वैश्विक दक्षिण की आवाज को मजबूत करने का मंच मानता है, न कि अमेरिका विरोधी समूह। भारत ने डी-डॉलराइजेशन को खारिज किया है और अमेरिका के साथ अपने संबंधों को महत्वपूर्ण बताया है। भारत ब्रिक्स छोड़ने की किसी योजना का समर्थन नहीं करता है।