अमेरिका और दुनिया के लिए कैसा होगा ट्रंप का दूसरा कार्यकाल: हलचल बढ़ेगी या आएगा शांतिकाल?

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नई दिल्ली,7 नवम्बर।डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की संभावनाएं एक बार फिर से चर्चा में हैं, और सवाल यह है कि अगर ट्रंप दोबारा सत्ता में आते हैं, तो अमेरिका और दुनिया पर इसका क्या असर पड़ेगा। उनके पहले कार्यकाल में उनकी नीतियों ने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवाद उत्पन्न किए थे, और अब सवाल यह है कि ट्रंप 2.0 का कार्यकाल एक शांतिपूर्ण अवधि लेकर आएगा या फिर दुनिया और अधिक हलचल का सामना करेगी।

आंतरिक नीति: “अमेरिका फर्स्ट” की वापसी
ट्रंप का “अमेरिका फर्स्ट” नारा उनके पहले कार्यकाल की प्रमुख नीति रही है, जिसमें अमेरिका के व्यापारिक और रक्षा हितों को सर्वोपरि रखा गया था। अगर ट्रंप दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं, तो उम्मीद की जा सकती है कि वह इसी नीति को और सख्ती से लागू करेंगे। इसका मतलब है कि अमेरिका अंतरराष्ट्रीय समझौतों पर अपने देशहित के दृष्टिकोण से ही फैसला लेगा, चाहे वह पेरिस जलवायु समझौता हो या विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसे वैश्विक संगठनों के प्रति जिम्मेदारी। इस नीति से अमेरिका के भीतर तो समर्थन बढ़ सकता है, लेकिन इसके अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।

विदेश नीति: चीन के साथ तनाव और रूस के साथ समीकरण
ट्रंप का दूसरा कार्यकाल दुनिया के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण होगा, खासकर चीन और रूस के साथ संबंधों के मामले में। चीन के साथ व्यापारिक और राजनीतिक तनाव उनके पहले कार्यकाल में कई बार सामने आया था। ट्रंप 2.0 में चीन के प्रति उनकी आक्रामक नीतियां जारी रह सकती हैं, जिससे व्यापारिक संघर्ष और तकनीकी विवाद बढ़ सकते हैं।

रूस के साथ ट्रंप का रिश्ता उनके पहले कार्यकाल में भी विवादास्पद रहा था। कई बार उन पर रूस के प्रति नरम रुख अपनाने के आरोप लगे। ट्रंप अगर दोबारा सत्ता में आते हैं, तो वे रूस के साथ संबंधों को संतुलित रखने की कोशिश कर सकते हैं, जो यूक्रेन और यूरोप की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण होगा।

व्यापार और आर्थिक नीति: टैरिफ और व्यापार समझौते
ट्रंप के कार्यकाल में व्यापारिक टैरिफ एक महत्वपूर्ण नीति थी। उन्होंने चीन, यूरोपीय संघ, और यहां तक कि भारत पर भी टैरिफ लगाया था, जिससे अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा कम हो और घरेलू उद्योगों को लाभ मिल सके। ट्रंप 2.0 में भी इस नीति के जारी रहने की उम्मीद है। इसके साथ ही, अमेरिका-मेक्सिको-कनाडा समझौता (USMCA) जैसे क्षेत्रीय समझौतों पर अधिक जोर दिया जा सकता है। वैश्विक व्यापार में इस तरह के कदम अन्य देशों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं, लेकिन अमेरिका में रोजगार और उद्योगों के लिए यह सकारात्मक हो सकता है।

मध्य-पूर्व और एशिया: सुरक्षा और कूटनीति
ट्रंप का दूसरा कार्यकाल मध्य-पूर्व और एशिया में भी प्रभाव डालेगा। उनके पहले कार्यकाल में इजरायल और खाड़ी देशों के बीच अब्राहम समझौतों के तहत संबंधों में सुधार हुआ था, और यह संभावना है कि ट्रंप इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाएंगे। ईरान पर ट्रंप का रुख सख्त रहा है, और दूसरे कार्यकाल में भी वह ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर कड़ा नियंत्रण रखने की कोशिश करेंगे।

दक्षिण एशिया में ट्रंप की नीति का असर भारत और पाकिस्तान के संबंधों पर भी हो सकता है। भारत के साथ व्यापार और रक्षा क्षेत्र में संबंध मजबूत करने की संभावना है, जबकि पाकिस्तान के साथ सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर उनका रुख कठोर हो सकता है।

जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण नीति: विरोध का सामना
ट्रंप का रुख जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर शुरू से ही विवादित रहा है। वह पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका को बाहर ले आए थे और पर्यावरण नियमों को लचीला बनाया था ताकि उद्योगों को बढ़ावा मिल सके। ट्रंप 2.0 में भी यही नीति जारी रह सकती है, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण बन सकता है, खासकर यूरोपीय देशों में जो जलवायु परिवर्तन को गंभीरता से लेते हैं।

अंतरराष्ट्रीय संगठनों से दूरी
ट्रंप का दृष्टिकोण अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रति संदेहपूर्ण रहा है, चाहे वह संयुक्त राष्ट्र हो या विश्व स्वास्थ्य संगठन। अगर ट्रंप दोबारा सत्ता में आते हैं, तो वे अमेरिका को इन संगठनों से दूर रखते हुए अपनी अलग पहचान बनाने पर जोर दे सकते हैं। यह अमेरिका को अलग-थलग भी कर सकता है, लेकिन ट्रंप की नीति के अनुसार यह उनके देश के हित में हो सकता है।

निष्कर्ष: दुनिया और अमेरिका के लिए क्या है भविष्य?
ट्रंप का दूसरा कार्यकाल घरेलू मोर्चे पर “अमेरिका फर्स्ट” की नीति को और मजबूत कर सकता है, जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका की स्थिति में अस्थिरता का कारण बन सकता है। जहां एक ओर अमेरिका के उद्योगों, रोजगार और घरेलू मुद्दों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, वहीं दूसरी ओर विश्व मंच पर तनाव बढ़ने की संभावना है।

ट्रंप 2.0 का कार्यकाल शांतिकाल से अधिक हलचल भरा हो सकता है, क्योंकि उनकी नीतियां स्पष्ट रूप से अमेरिकी हितों के पक्ष में होंगी, भले ही इसके लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को कुर्बान करना पड़े। ऐसे में ट्रंप का दूसरा कार्यकाल दुनिया के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है, लेकिन उनके समर्थकों के लिए यह उम्मीद की किरण बन सकता है।

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