बांग्लादेश में स्टूडेंट प्रोटेस्ट एक राजनैतिक भूचाल

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बांग्लादेश ,8अगस्त। बांग्लादेश में हाल ही में स्टूडेंट प्रोटेस्ट ने एक ऐसा मोड़ लिया जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया। छात्रों द्वारा शुरू किया गया यह आंदोलन धीरे-धीरे इतना बड़ा हो गया कि प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देना पड़ा और देश छोड़ना पड़ा।

प्रोटेस्ट की शुरुआत
यह प्रोटेस्ट शुरू हुआ था बांग्लादेश में सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या के खिलाफ। छात्रों ने सड़कों पर उतर कर सुरक्षित सड़कों और ट्रैफिक नियमों के सख्ती से पालन की मांग की। इनका कहना था कि सरकारी लापरवाही और भ्रष्टाचार के कारण सड़कों की हालत खस्ता है, जिससे आम नागरिकों की जान जोखिम में है।

प्रोटेस्ट का विस्तार
प्रोटेस्ट धीरे-धीरे सिर्फ सड़क सुरक्षा तक सीमित नहीं रहा। छात्रों ने भ्रष्टाचार, सरकारी नीतियों और न्याय की मांग को लेकर आवाज उठानी शुरू कर दी। यह आंदोलन सोशल मीडिया पर भी तेज़ी से फैला और लाखों छात्रों ने इसमें भाग लिया।

सरकार की प्रतिक्रिया
शुरुआत में सरकार ने छात्रों की मांगों को नजरअंदाज किया। लेकिन जब प्रोटेस्ट बढ़ता गया, तो सरकार ने इसे दबाने की कोशिश की। पुलिस और सरकारी एजेंसियों ने आंदोलनकारियों पर बल प्रयोग किया, जिससे स्थिति और बिगड़ गई।

शेख हसीना का इस्तीफा
स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देना पड़ा। देश में उत्पन्न अस्थिरता और विदेशी दवाब के चलते उन्होंने इस्तीफा दिया और देश छोड़ दिया। खबरों के अनुसार, उन्होंने राजनीतिक शरण के लिए ब्रिटेन और अमेरिका से संपर्क किया, लेकिन उन्हें वहां से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला। अब उनकी नजर रूस, फिनलैंड, यूएई और सऊदी अरब जैसे देशों पर है, जहां वे शरण ले सकती हैं ।

भविष्य की ओर
बांग्लादेश अब एक नए राजनीतिक दौर में प्रवेश कर रहा है। यह देखना होगा कि नई सरकार कैसे इन मुद्दों को सुलझाती है और छात्रों की मांगों को किस हद तक पूरा करती है। इस प्रोटेस्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जनता अब जागरूक है और अपने अधिकारों के लिए लड़ने को तैयार है।

यह घटना सिर्फ बांग्लादेश ही नहीं, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के लिए एक महत्वपूर्ण सबक है। लोकतंत्र में जनता की आवाज को अनसुना नहीं किया जा सकता।

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