CJI का शपथ ग्रहण: 7 देशों के मुख्य न्यायाधीश होंगे शामिल
नई दिल्ली, 22 नवम्बर 2025 । भारत के नए मुख्य न्यायाधीश (CJI) का शपथ ग्रहण समारोह इस बार अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति के कारण विशेष महत्व रखता है। कार्यक्रम में दुनिया के सात देशों के मुख्य न्यायाधीश शामिल होंगे, जिससे भारतीय न्यायपालिका की वैश्विक पहचान और न्यायिक सहयोग की दिशा में उठाए गए कदमों को नई मजबूती मिलेगी।
जस्टिस सूर्यकांत 24 नवंबर को देश के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे। राष्ट्रपति भवन में होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में ब्राजील समेत दुनिया के सात देशों के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के जज शामिल होंगे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में यह पहला मौका होगा जब किसी CJI के शपथ ग्रहण में इतनी बड़ी संख्या में दूसरे देशों के न्यायिक प्रतिनिधिमंडल की मौजूदगी होगी।
समारोह में भूटान, केन्या, मलेशिया, मॉरिशस, नेपाल और श्रीलंका के चीफ जस्टिस उनके साथ आए परिवार के सदस्य शामिल होंगे।
मौजूदा CJI गवई का कार्यकाल 23 नवंबर को खत्म हो रहा है। अगले CJI जस्टिस सूर्यकांत 9 फरवरी 2027 को रिटायर होंगे। उनका कार्यकाल लगभग 14 महीने का होगा।
कौन-कौन होंगे शामिल
शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने वाले न्यायाधीशों में एशिया, अफ्रीका और यूरोप के प्रमुख देशों के CJs शामिल होंगे। उनका भारत आगमन न केवल एक औपचारिक उपस्थिति है, बल्कि कई द्विपक्षीय बैठकों, न्यायिक सहयोग, डिजिटल जस्टिस, और कोर्ट मॉडर्नाइजेशन जैसे मुद्दों पर संवाद का अवसर भी प्रदान करेगा।
भारत के लिए क्या होगा लाभ
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न्यायिक सुधारों पर अंतरराष्ट्रीय विचारों का आदान–प्रदान
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ई-कोर्ट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटल केस मैनेजमेंट पर साझा सहयोग
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न्याय व्यवस्था की पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने के लिए नए मॉडल्स पर चर्चा
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कानूनी शिक्षा और रिसर्च के क्षेत्र में आपसी साझेदारी
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कॉमन चुनौतियों जैसे साइबर क्राइम, सीमा–पार अपराध, मानवाधिकार और विधिक जटिलताओं पर संयुक्त समाधान
कूटनीतिक दृष्टि से बड़ा कदम
ऐसे कार्यक्रम भारत के लिए एक सॉफ्ट पावर के रूप में भी काम करते हैं। जब दुनिया की सर्वोच्च न्यायिक हस्तियाँ भारत आती हैं, तो यह संकेत देता है कि भारत न केवल आर्थिक या सामरिक रूप से बल्कि न्यायिक सोच में भी एक महत्वपूर्ण वैश्विक भागीदार बन रहा है।
सरकार और सुप्रीम कोर्ट की तैयारियां
समारोह को भव्य लेकिन गरिमामय बनाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। विदेश मंत्रालय, सुप्रीम कोर्ट प्रशासन और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने संयुक्त रूप से अतिथियों की यात्रा, सुरक्षा और मुलाकातों की विस्तृत व्यवस्था की है।
न्यायिक पेंडेंसी कम करना, न्याय तक समान पहुँच सुनिश्चित करना, तकनीक को न्यायिक संरचना में अधिक प्रभावी बनाना और संवैधानिक मूल्यों का संरक्षण—ये वे प्रमुख मुद्दे हैं जिन पर देश की नज़र रहेगी।