इस्लामाबाद , 06 नवम्बर 2025 । पाकिस्तान में सेना प्रमुख की शक्तियों में बड़ा विस्तार होने जा रहा है। सरकार द्वारा प्रस्तावित कानूनी और प्रशासनिक बदलावों के बाद आर्मी चीफ को रणनीतिक, आर्थिक और आंतरिक सुरक्षा मामलों में अतिरिक्त अधिकार मिलने की संभावना है। इस कदम ने देश की राजनीति और सत्ता संरचना में हलचल बढ़ा दी है।
क्या बदलने वाला है?
सूत्रों के मुताबिक सरकार एक नए संशोधन या नीति ढांचे पर काम कर रही है, जिसके तहत—
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राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति से जुड़े फैसलों में सेना प्रमुख की भूमिका औपचारिक रूप से बढ़ाई जाएगी
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आंतरिक सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी अभियानों की कमान अधिक केंद्रीकृत होगी
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सैन्य बजट, हथियार सौदे और रक्षा कूटनीति पर निर्णय सीधे आर्मी चीफ के दायरे में आ सकते हैं
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संकट काल या राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति में सेना को “विशेष प्रशासनिक अधिकार” देने पर भी चर्चा
पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार संविधान में 27वां संशोधन लाने की तैयारी कर रही है। इससे सेना प्रमुख को ज्यादा ताकत मिल सकती है और प्रांतों को मिलने वाला पैसा कम हो सकता है।
रिपोर्टों के मुताबिक, संशोधन के तहत पाकिस्तानी संविधान के आर्टिकल 243 में बदलाव किया जाएगा। यह आर्टिकल सेना प्रमुख की नियुक्ति और आर्म्ड फोर्स के कमांड से जुड़ा है। इसके तहत कमांडर-इन-चीफ नाम से नया संवैधानिक पद भी बनाया जा सकता है।
इस बिल को लेकर पाकिस्तानी संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली में 14 नवंबर को वोटिंग होगी। इसे देखते हुए सरकार ने सभी मंत्रियों के विदेशी दौरे रद्द कर दिए हैं।
पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर 2027 में रिटायर होने वाले हैं। माना जा रहा है कि ऐसे में सरकार ने उन्हें इस संशोधन के जरिए लाइफटाइम पावर में बने रहने की ताकत दे सकती है। इमरान खान की पार्टी PTI ने इसका विरोध किया है।
इस हफ्ते सीनेट में बिल पेश होगा
इस बिल को लेकर चर्चा तब शुरू हुई जब पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (PPP) के चेयरमैन बिलावल भुट्टो ने सोशल मीडिया पर दावा किया कि सरकार ने उनसे इस संशोधन पर समर्थन मांगा है।
सरकार ने तय किया है कि 27वें संशोधन का अंतिम मसौदा इस हफ्ते सीनेट (ऊपरी सदन) में पेश किया जाएगा।
डिप्टी पीएम और विदेश मंत्री इशाक डार ने संसद में पुष्टि की है कि सरकार जल्द यह संशोधन पेश करेगी। उन्होंने कहा कि पूरी प्रोसेस संविधान और कानून के दायरे में होगी और इसमें किसी तरह की जल्दबाजी नहीं होगी।
नेशनल असेंबली में कुल 336 सीटें हैं, जिनमें से 10 खाली हैं यानी 326 सदस्य मौजूद हैं। किसी भी संविधान संशोधन को पास करने के लिए 224 वोट की जरूरत होगी। सत्तारूढ़ गठबंधन के पास करीब 230 सीटें हैं। ऐसे में ये बिल आसानी से पास हो जाएगा, लेकिन उसे सीनेट में मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है।
यदि संशोधन पास हो जाते हैं, तो पाकिस्तान की सत्ता संरचना में एक बड़ा और औपचारिक बदलाव दर्ज होगा। विपक्ष सड़क से संसद तक आंदोलन की तैयारी कर रहा है, जबकि सरकार इसे “राष्ट्रीय सुरक्षा की जरूरत” बता रही है। आने वाले दिनों में संसद, अदालत और सड़कों पर बड़ा राजनीतिक संघर्ष देखने को मिल सकता है।