11 नवंबर को दो सीटों पर होगा उपचुनाव – निर्वाचन आयोग ने तारीखों का किया ऐलान, राजनीतिक दलों में बढ़ी हलचल

0

जम्मू-कश्मीर, 03 नवम्बर 2025 । भारत के निर्वाचन आयोग ने घोषणा की है कि आगामी 11 नवंबर को देश की दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव (By-Election) कराया जाएगा। यह उपचुनाव उन सीटों पर हो रहा है जो हाल ही में रिक्त हुई थीं। आयोग ने बताया कि मतदान के तुरंत बाद मतगणना प्रक्रिया पूरी कर परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे।

सूत्रों के अनुसार, उपचुनाव जिन दो सीटों पर होना है, उनमें एक उत्तर भारत और दूसरी दक्षिण भारत के राज्य से संबंधित है। इन दोनों सीटों को लेकर राजनीतिक माहौल पहले से ही गर्म है, क्योंकि ये परिणाम आने वाले राज्यों में राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकते हैं।

जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला पर सियासी हमले तेज हो गए हैं। उमर की खुद की पार्टी में असंतोष बढ़ रहा है। वहीं सहयोगी कांग्रेस का कहना है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) सरकार नीतिगत फैसलों में कांग्रेस को शामिल नहीं कर रही और गठबंधन की भावना की अनदेखी कर रही है।

एआईसीसी महासचिव शहनवाज चौधरी ने चेतावनी दी है कि अगर एनसी ने रवैया नहीं बदला तो कांग्रेस इस गठबंधन पर पुनर्विचार करने को मजबूर होगी। विपक्ष ने उमर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

पीडीपी विधायक वहीद पारा ने कहा, ‘उमर को सत्ता में आए एक साल पूरा हो चुका है, लेकिन अब तक उसने जनता को कुछ नहीं दिया।’ बता दें कि उमर अब्दुल्ला ने 16 अक्टूबर 2024 को सीएम पद की शपथ ली थी। अब 11 नवंबर 2025 कोजम्मू-कश्मीर में बडगाम और नागरोटा विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाला है।

एनसी के बागी नेता बोले- इससे बेहतर तो एलजी का शासन था

नेशनल कॉन्फ्रेंस में असंतोष बढ़ रहा है। सांसद आगा रहुल्लाह ने सरकार और संगठन पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, ‘हमें आत्ममंथन करना चाहिए। जनता हमसे नाराज है।’ रहुल्लाह ने स्वीकार किया कि पार्टी वादे पूरे करने में नाकाम रही। सीएम उमर अब्दुल्ला के बयान पर तंज कसते हुए पूछा, ‘जो चीजें उनके अधिकार में हैं, उन पर क्या किया?’ वरिष्ठ नेता मियां अल्ताफ ने पार्टी में बढ़ती दूरियों पर चिंता जताई। उनके बेटे ने उपराज्यपाल शासन को बेहतर बताया।

इन उपचुनावों को लेकर सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों दोनों ने अपनी रणनीतियाँ तेज कर दी हैं। प्रमुख पार्टियों के स्टार प्रचारक मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह उपचुनाव भविष्य की राजनीतिक दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकता है, खासकर उन राज्यों में जहाँ अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं।

स्थानीय मुद्दे, विकास कार्य और जनता की असंतुष्टि – ये सभी इस उपचुनाव के परिणाम को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक माने जा रहे हैं। सभी दल मतदाताओं को लुभाने के लिए जनसभाएँ, रैलियाँ और डोर-टू-डोर कैंपेन चला रहे हैं।

निर्वाचन आयोग ने मतदाताओं से अपील की है कि वे लोकतंत्र के इस पर्व में सक्रिय भागीदारी निभाएँ और अधिक से अधिक संख्या में मतदान करें।

Leave A Reply

Your email address will not be published.