भारत S-400 के लिए ₹10 हजार करोड़ की डील करेगा — हवाई सुरक्षा तंत्र होगा और मजबूत
नई दिल्ली, 22 अक्टूबर 2025 । भारत अपनी हवाई सुरक्षा प्रणाली को और अधिक सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है। रक्षा मंत्रालय ने रूस से आधुनिकतम S-400 एयर डिफेंस सिस्टम के लिए लगभग ₹10 हजार करोड़ की नई डील को मंजूरी देने की तैयारी कर ली है। यह सौदा भारत की रक्षा क्षमताओं को और उन्नत करेगा तथा देश की सीमाओं की सुरक्षा को मजबूत आधार प्रदान करेगा।
भारत अपने मौजूदा ₹S-400 एयर डिफेंस सिस्टम के लिए रूस से 10,000 करोड़ की मिसाइलें खरीदने वाला है। इसके लिए रूसी अधिकारियों के साथ बातचीत जारी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रक्षा मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को 23 अक्टूबर को होने वाली डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल की बैठक में मंजूरी दे सकता है।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायु सेना के S-400 सिस्टम ने अहम भूमिका निभाई थी। बताया गया कि इसने पाकिस्तान के 5-6 लड़ाकू विमानों और एक जासूसी विमान को 300 किलोमीटर से ज्यादा दूरी पर मार गिराया। वायु सेना ने S-400 को भारत की हवाई सुरक्षा रणनीति का गेम चेंजर बताया है।
नए S-400 पर दिसंबर में डील हो सकती है
भारत रूस से कुछ और S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीद सकता है। ऐसे पांच सिस्टम्स की डील पहले ही हुई थी, जिनमें से 3 भारत को मिल चुके हैं। चौथे स्क्वाड्रन की डिलीवरी रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण रुकी हुई है। नई डील इनके अलावा होगी। न्यूज एजेंसी PTI के सोर्स के मुताबिक, दिसंबर में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे के समय डील पर बातचीत हो सकती है।
भारत ने अक्टूबर 2018 में रूस के साथ 5 अरब डॉलर का समझौता किया था। उस समय अमेरिका ने चेतावनी दी थी कि इस सौदे को आगे बढ़ाने पर वह CAATSA कानून के तहत भारत पर पाबंदी लगा सकता है।
भारत S-500 मिसाइल सिस्टम खरीदने पर भी विचार कर रहा है। S-400 और S-500 दोनों ही मॉडर्न मिसाइल सिस्टम हैं। इनका इस्तेमाल एयर डिफेंस और दुश्मन के हवाई हमलों से बचने के लिए किया जाता है।
हालांकि, यह डील अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय है, क्योंकि अमेरिका ने रूस से हथियार खरीद पर CAATSA (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act) के तहत प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी थी। लेकिन भारत ने अपने सामरिक हितों और राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए यह निर्णय लिया है।
इस समझौते के बाद भारत की रक्षा नीति और रणनीतिक स्वायत्तता दोनों और अधिक मजबूत होंगी, जिससे वह वैश्विक मंच पर एक आत्मनिर्भर और सशक्त राष्ट्र के रूप में अपनी स्थिति को और पुख्ता करेगा।