भारत रूस से और S-400 डिफेंस सिस्टम खरीद सकता है: वायु रक्षा क्षमता को और मजबूत करने की तैयारी
नई दिल्ली, 4 अक्तूबर 2025 ।भारत अपनी वायु रक्षा क्षमता को और अधिक मजबूत करने के लिए रूस से अतिरिक्त S-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने पर विचार कर रहा है। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, इस प्रस्ताव पर चर्चा प्रारंभिक चरण में है, और अगर मंजूरी मिलती है, तो भारत की वायु सुरक्षा व्यवस्था विश्वस्तरीय स्तर पर और सशक्त हो जाएगी।
भारत रूस से कुछ और S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीद सकता है। ऐसे पांच सिस्टम की डील पहले ही हुई थी, जिनमें से 3 भारत को मिल चुके हैं। नई डील इनके अलावा होगी। न्यूज एजेंसी PTI के सोर्स के मुताबिक, दिसंबर में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे के समय डील पर बातचीत हो सकती है।
यह वही डिफेंस सिस्टम है, जिसने ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की ओर से किए गए ड्रोन और मिसाइल हमलों को हवा में ही मारकर नाकाम किया था।
भारत ने अक्टूबर 2018 में रूस के साथ 5 अरब डॉलर का समझौता किया था। उस समय अमेरिका ने चेतावनी दी थी कि इस सौदे को आगे बढ़ाने पर वह CAATSA कानून के तहत भारत पर पाबंदी लगा सकता है।
भारत S-500 मिसाइल सिस्टम खरीदने पर भी विचार कर रहा है। S-400 और S-500 दोनों ही मॉडर्न मिसाइल सिस्टम हैं। इसका इस्तेमाल एयर डिफेंस और दुश्मन के हवाई हमलों से बचने के लिए किया जाता है।
S-400 डिफेंस सिस्टम क्या है?
S-400 ट्रायम्फ रूस का सबसे एडवांस्ड मिसाइल सिस्टम है, जिसे 2007 में लॉन्च किया गया था। ये सिस्टम फाइटर जेट, बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइल, ड्रोन और स्टेल्थ विमानों तक को मार गिरा सकता है। ये हवा में कई तरह के खतरों से बचाव के लिए एक मजबूत ढाल की तरह काम करता है। दुनिया के बेहद आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम में इसकी गिनती होती है।
इस सिस्टम की खासियत क्या है?
- S-400 की सबसे बड़ी खासियत इसका मोबाइल होना है। यानी रोड के जरिए इसे कहीं भी लाया ले जाया जा सकता है।
- इसमें 92N6E इलेक्ट्रॉनिकली स्टीयर्ड फेज्ड ऐरो रडार लगा हुआ है जो करीब 600 किलोमीटर की दूरी से ही मल्टीपल टारगेट्स को डिटेक्ट कर सकता है।
- ऑर्डर मिलने के 5 से 10 मिनट में ही ये ऑपरेशन के लिए रेडी हो जाता है।
- S-400 की एक यूनिट से एक साथ 160 ऑब्जेक्ट्स को ट्रैक किया जा सकता है। एक टारगेट के लिए 2 मिसाइल लॉन्च की जा सकती हैं।
- S-400 में 400 इस सिस्टम की रेंज को दर्शाता है। भारत को जो सिस्टम मिल रहा है, उसकी रेंज 400 किलोमीटर है। यानी ये 400 किलोमीटर दूर से ही अपने टारगेट को डिटेक्ट कर काउंटर अटैक कर सकता है। साथ ही यह 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर भी अपने टारगेट पर अटैक कर सकता है।
भविष्य की जंग के लिए तैयार किया गया S-500
रूसी न्यूज एजेंसी TASS के मुताबिक S-500 को भविष्य की जंग के लिए तैयार किया गया है। S-400 जहां से हाई एल्टीट्यूड वाले विमानों और क्रूज मिसाइलों को निशाना बनाता है, वहीं S-500 बैलिस्टिक मिसाइलें , हाइपरसोनिक हथियार, लो ऑर्बिट सैटेलाइट, F-35 और B-2 बॉम्बर जैसे खतरनाक और फिफ्थ जेनरेशन विमानों को तबाह कर सकता है।
इसकी रेंज बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस के लिए 600 किमी है। ये मैक 20 तक की स्पीड से जाता है और 10 हाइपरसोनिक टारगेट्स को ट्रैक और एंगेज कर सकता है। 200 किमी की ऊंचाई तक के टारगेट को S-500 भेद सकता है। S-400 का रेसपॉन्स टाइम 10 सेकंड से कम है, वहीं S-500 चार सेकंड से भी कम समय में जवाबी कार्रवाई करने में सक्षम है।