इस्लामाबाद, 26 दिसंबर 2025 । पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा (LoC) पर एंटी-ड्रोन सिस्टम तैनात करने की पुष्टि की है, जिससे भारत-पाक सीमा पर सुरक्षा गतिविधियां एक बार फिर सुर्खियों में आ गई हैं। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब सीमावर्ती इलाकों में ड्रोन के जरिए हथियार, मादक पदार्थ और निगरानी गतिविधियों की घटनाओं को लेकर चिंता जताई जाती रही है। एंटी-ड्रोन सिस्टम की तैनाती को पाकिस्तान की ओर से सीमा सुरक्षा को मजबूत करने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
पाकिस्तान ने पाक-अधिकृत कश्मीर (PoK) में लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) के पास एंटी-ड्रोन सिस्टम तैनात कर दिए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक नए काउंटर-अनमैन्ड एरियल सिस्टम (C-UAS) रावलकोट, कोटली और भिंबर सेक्टर में लगाए गए हैं।
काउंटर-अनमैन्ड एरियल सिस्टम (C-UAS) वह तकनीक है, जो दुश्मन के ड्रोन को पहचानने, ट्रैक करने और उन्हें जैम या मार गिराने के लिए इस्तेमाल की जाती है।
पाकिस्तानी सेना को आशंका है कि भारत फिर से ऑपरेशन सिंदूर जैसा कदम उठा सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान ने LoC पर 30 से ज्यादा खास एंटी-ड्रोन यूनिट्स तैनात की हैं।
ये तैनाती मुर्री की 12वीं इन्फैंट्री डिवीजन और 23वीं इन्फैंट्री डिवीजन ने की हैं, जो कोटली–भिंबर इलाके की ब्रिगेड्स को संभालती हैं। इसका मकसद LoC के पास हवाई निगरानी और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर क्षमता मजबूत करना है।
सूत्रों के अनुसार, इन एंटी-ड्रोन प्रणालियों का उद्देश्य बिना अनुमति सीमा क्षेत्र में प्रवेश करने वाले ड्रोन की पहचान करना, उन्हें ट्रैक करना और जरूरत पड़ने पर निष्क्रिय करना है। आधुनिक एंटी-ड्रोन तकनीक में रडार, रेडियो फ्रीक्वेंसी डिटेक्शन और जैमिंग सिस्टम शामिल होते हैं, जो कम ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोन को भी पकड़ने में सक्षम माने जाते हैं। पाकिस्तान का दावा है कि इससे सीमा पार से होने वाली संदिग्ध गतिविधियों पर प्रभावी नियंत्रण रखा जा सकेगा।
LoC पर ड्रोन गतिविधियों का मुद्दा पिछले कुछ वर्षों से लगातार चर्चा में रहा है। कई बार ड्रोन के जरिए घुसपैठ, हथियारों की सप्लाई और जासूसी के आरोप लगाए जाते रहे हैं। ऐसे में एंटी-ड्रोन सिस्टम की तैनाती को क्षेत्र में बदलती सुरक्षा चुनौतियों से निपटने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि तकनीकी उपायों के साथ-साथ पारदर्शिता और विश्वास निर्माण के कदम भी उतने ही जरूरी हैं।
इस घटनाक्रम का क्षेत्रीय सुरक्षा समीकरण पर भी असर पड़ सकता है। LoC पर पहले से ही तनावपूर्ण माहौल में नई तकनीक की तैनाती से दोनों देशों की सुरक्षा एजेंसियां और अधिक सतर्क हो सकती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के कदमों से सीमा पर निगरानी बढ़ेगी, लेकिन इसके साथ-साथ संवाद और संयम बनाए रखना भी जरूरी है, ताकि किसी भी तरह की गलतफहमी या तनाव को बढ़ने से रोका जा सके।
कुल मिलाकर, पाकिस्तान द्वारा LoC पर एंटी-ड्रोन सिस्टम तैनात करना सीमा सुरक्षा के बदलते स्वरूप को दर्शाता है। यह कदम जहां तकनीकी रूप से निगरानी को मजबूत करने की दिशा में है, वहीं इससे क्षेत्रीय सुरक्षा और भारत-पाक संबंधों पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर भी चर्चाएं तेज हो गई हैं।