दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण बना गंभीर संकट, 50% कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम अनिवार्य
नई दिल्ली, 17 दिसंबर 2025 । दिल्ली में वायु प्रदूषण एक बार फिर गंभीर स्तर पर पहुंच गया है, जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। जहरीली हवा, बढ़ते AQI और स्वास्थ्य संबंधी खतरे को देखते हुए प्रशासन ने सख्त कदम उठाए हैं। इसी कड़ी में दिल्ली में 50 प्रतिशत कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम (Work From Home) को अनिवार्य कर दिया गया है, ताकि सड़कों पर भीड़ कम हो और प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित किया जा सके।
दिल्ली में जानलेवा प्रदूषण के चलते भाजपा सरकार ने बुधवार को सभी सरकारी और प्राइवेट दफ्तरों में 50% कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम नियम लागू कर दिया है। यानी अब सभी दफ्तरों में सिर्फ आधे कर्मचारी जाएंगे। आधे कर्मचारी घर से काम करेंगे।
दिल्ली के श्रम मंत्री कपिल मिश्रा ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि यह नियम गुरुवार से लागू होंगे। कुछ सेक्टरों, जैसे हेल्थकेयर, फायर सर्विस, जेल प्रशासन, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, डिजास्टर मैनेजमेंट जैसे जरूरी सेवाएं देने वाली संस्थानों को नियम से छूट दी गई है।
कपिल मिश्रा ने बताया कि दिल्ली में 16 दिनों तक ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान का तीसरा फेज, (GRAP-3) लागू रहा। इस दौरान निर्माण कार्य बंद थे। इससे दिहाड़ी मजदूर प्रभावित हुए हैं। दिल्ली सरकार सभी रजिस्टर्ड और वेरिफाइड निर्माण मजदूरों के खातों में मुआवजे के तौर पर ₹10,000 ट्रांसफर करेगी।
प्रशासन का मानना है कि वर्क फ्रॉम होम लागू करने से ट्रैफिक कम होगा, जिससे वाहनों से निकलने वाला धुआं घटेगा। इसके साथ ही सरकारी और निजी दफ्तरों में कर्मचारियों की संख्या सीमित रहने से सार्वजनिक परिवहन और सड़कों पर दबाव भी कम पड़ेगा। यह फैसला अस्थायी राहत देने के साथ-साथ प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
इसके अलावा निर्माण कार्यों पर निगरानी बढ़ा दी गई है, खुले में कचरा जलाने पर सख्ती की जा रही है और प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर भी कार्रवाई के संकेत दिए गए हैं। स्कूलों को लेकर भी स्थिति के अनुसार फैसले लिए जा सकते हैं, ताकि बच्चों को प्रदूषण से बचाया जा सके।
दिल्ली में हर साल सर्दियों के मौसम में प्रदूषण एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आता है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक दीर्घकालिक समाधान नहीं अपनाए जाएंगे, तब तक ऐसे आपात कदम बार-बार उठाने पड़ेंगे। फिलहाल 50 प्रतिशत कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम का फैसला जनता के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की दिशा में एक जरूरी कदम माना जा रहा है।