वॉशिंगटन, 24 नवम्बर 2025 । पाकिस्तान के विवादित परमाणु वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान का नाम एक बार फिर सुर्खियों में है, क्योंकि खुफिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि वे वर्षों तक परमाणु तकनीक और हथियारों की तस्करी से जुड़े नेटवर्क का संचालन कर रहे थे। यह नेटवर्क न सिर्फ पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी को चुनौती देता रहा, बल्कि उसने एशिया और मध्य पूर्व में सामरिक संतुलन को भी गंभीर रूप से प्रभावित किया।
अमेरिका की खुफिया एजेंसी CIA के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी जेम्स लॉलर ने पाकिस्तानी साइंटिस्ट डॉ. अब्दुल कादिर खान के न्यूक्लियर स्मगलिंग नेटवर्क को लेकर कई खुलासे किए हैं।
ANI से बात करते हुए लॉलर ने बताया कि शुरू में अमेरिका को लगा था कि कादिर खान सिर्फ पाकिस्तान के लिए परमाणु ब्लूप्रिंट बना रहा है। लेकिन बाद में पता चला कि वह लीबिया, ईरान जैसे कई देशों को परमाणु तकनीक और हथियार बनाने का सामान अवैध तरीके से बेच रहा था।
लॉलर ने कहा, ‘हम बहुत देर से जागे। हमें अंदाजा ही नहीं था कि वह इतना बड़ा तस्कर बन जाएगा।’ सरकार के मिलीभगत पर लॉलर ने कहा कि खान कुछ पाकिस्तानी जनरलों और नेताओं को रिश्वत देते थे।
लॉलर ने बताया कि CIA चीफ जॉर्ज टेनेट ने पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को तस्करी की जानकारी दी। मुशर्रफ ये बात सुनते ही गुस्सा हो गए और खान को गाली देते हुए जान से मार डालने की बात कही।
पाकिस्तान की सरकार ने हमेशा आधिकारिक तौर पर इन आरोपों से दूरी बनाई, लेकिन कई अंतरराष्ट्रीय जांचों में यह संकेत मिले कि नेटवर्क राज्य की जानकारी से परे नहीं था। अब इन आरोपों के दोबारा उभरने से वैश्विक सुरक्षा संस्थानों की चिंता बढ़ गई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह मामला केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि परमाणु तकनीक के अनियंत्रित प्रसार से जुड़े बड़े जोखिमों का प्रतीक है।
इस खुलासे का असर क्षेत्रीय राजनीति पर भी दिखाई दे रहा है—भारत, ईरान, अफगानिस्तान और खाड़ी देशों में सुरक्षा एजेंसियाँ इस मामले के प्रभावों का आकलन कर रही हैं। परमाणु तकनीक की तस्करी न केवल सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि वैश्विक अप्रसार संधियों पर भी सवाल उठाती है।