नई दिल्ली, 24 नवम्बर 2025 । स्टील उद्योग के वैश्विक दिग्गज और दुनिया के सबसे प्रभावशाली उद्योगपतियों में शामिल लक्ष्मी नारायण मित्तल ब्रिटेन छोड़ने पर विचार कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि ब्रिटेन में हाल ही में लागू हुए उच्च कर ढांचे, विशेष रूप से हाई-नेट-वर्थ व्यक्तियों पर बढ़े टैक्स के बाद उनका यह कदम सामने आया है। मित्तल 2000 के दशक की शुरुआत से लंदन में बसे हुए हैं और उनकी मौजूदगी को ब्रिटेन की आर्थिक और कारोबारी प्रतिष्ठा का बड़ा स्तंभ माना जाता रहा है।
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी स्टील कंपनी आर्सेलर मित्तल के मालिक और ब्रिटेन के टॉप अरबपतियों में शामिल लक्ष्मी मित्तल ब्रिटेन छोड़ रहे हैं।
द संडे टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, लेबर पार्टी की नई सरकार द्वारा अमीरों पर टैक्स बढ़ाने की तैयारी के चलते मित्तल ने यह फैसला लिया है। भारतवंशी मित्तल की कुल संपत्ति करीब 1.8 लाख करोड़ रुपए है। वे ब्रिटेन के आठवें सबसे अमीर व्यक्ति हैं।
0% का ‘एग्जिट टैक्स’ लगाने की तैयारी में ब्रिटेन
लेबर पार्टी की सरकार में वित्त मंत्री रेचल रीव्स देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए 20 अरब पाउंड (करीब 2.3 लाख करोड़ रुपए) का फंड जुटाने की कोशिश कर रही है।
26 नवंबर को रेचल रीव्स का बजट आना है। अटकलें हैं कि इसमें 20% तक एक्जिट टैक्स लगाने का ऐलान हो सकता है। इससे पहले सरकार ने कैपिटल गेन टैक्स को अप्रैल 2025 से 10% से बढ़ाकर 14% कर दिया था। 2026 में ये 18% तक पहुंच जाएगा।
मित्तल के परिवार के एक सलाहकार ने कहा कि सबसे बड़ी चिंता इनहेरिटेंस टैक्स (विरासत कर) है। ज्यादातर अमीर विदेशी लोग ये समझ ही नहीं पाते कि उनकी दुनिया भर की संपत्ति पर ब्रिटेन का इनहेरिटेंस टैक्स क्यों लगना चाहिए? ये देश छोड़ने पर मजबूर कर रहा हैं।
ब्रिटेन में इनहेरिटेंस टैक्स 40% तक लगता है। दुबई में ये जीरो है। अप्रैल में नॉन-डॉम स्टेटस खत्म करने के बाद कई अमीर लोगों ने ब्रिटेन छोड़ने का फैसला किया। ये पुराना सिस्टम (200 साल पुराना) अमीर लोगों को सिर्फ ब्रिटेन में कमाई पर टैक्स देने की सुविधा देता था।
लक्ष्मी मित्तल के संभावित कदम ने ब्रिटिश उद्योग जगत में हलचल मचा दी है, क्योंकि वे केवल एक बड़े कारोबारी नहीं बल्कि वैश्विक निवेश और व्यापार का प्रतीक माने जाते हैं। उनका ब्रिटेन से जाना निवेश माहौल पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। हालांकि, उनकी कंपनी ArcelorMittal दुनिया भर में मजबूत उपस्थिति बनाए हुए है और इस निर्णय से कंपनी के संचालन पर बड़ा असर नहीं पड़ेगा, लेकिन ब्रिटेन की रणनीतिक व्यावसायिक छवि को झटका लगना तय है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि टैक्स वातावरण अनुकूल नहीं बनाया गया, तो कई अन्य बड़े निवेशक भी इसी रास्ते पर चल सकते हैं, जिससे ब्रिटेन का आर्थिक परिदृश्य कमजोर पड़ सकता है।