दिल्ली ब्लास्ट: आतंकी डॉक्टर्स की अलग-अलग हैंडलर को रिपोर्टिंग, जांच में बड़ा खुलासा

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नई दिल्ली, 22  नवम्बर 2025 । दिल्ली में हुए हालिया ब्लास्ट की जांच हर दिन नए और चौंकाने वाले खुलासे कर रही है। ताज़ा जानकारी के अनुसार, घटना में शामिल आतंकी डॉक्टर्स अलग-अलग हैंडलर्स को रिपोर्ट कर रहे थे, जिससे यह पूरा मॉड्यूल अत्यंत संगठित, पेशेवर और बहुस्तरीय नियंत्रण तंत्र के तहत संचालित होने की पुष्टि होती है। यह व्यवस्था किसी बड़े नेटवर्क, अंतरराष्ट्रीय आतंक संगठनों और उनके खुफिया तंत्र की ओर संकेत करती है।

दिल्ली ब्लास्ट मामले में इंटेलिजेंस एजेंसियों ने एक बड़े अंतरराज्यीय आतंकी नेटवर्क, हैंडलर्स की चेन और कई को-ऑर्डिनेटेड हमलों की तैयारी का खुलासा किया है। न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक इंटेलिजेंस सूत्रों ने बताया मॉड्यूल का हर आरोपी एक अलग हैंडलर को रिपोर्ट कर रहा था।

मुजम्मिल का हैंडलर अलग था, जबकि ब्लास्ट करने वाला उमर दूसरे हैंडलर को रिपोर्ट कर रहा था। दो खास हैंडलर मंसूर और हाशिम एक सीनियर हैंडलर इब्राहिम के अंडर काम कर रहे थे, जो मॉड्यूल की पूरी एक्टिविटीज को सुपरवाइज कर रहा था। ये सभी हैंडलर लेयर्स में काम कर रहे थे।

इधर, दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की टीम श्रीनगर में हैं। यह टीम J&K पुलिस की हिरासत में लिए गए डॉक्टरों और संदिग्धों से पूछताछ करने वाली है।

दिल्ली ब्लास्ट पर खुफिया एजेंसियों के खुलासे

  • आरोपी मुजम्मिल ने 6.5 लाख रुपए में एक AK-47 राइफल खरीदी थी, जो बाद में अदील के लॉकर से मिली थी। यह मॉड्यूल के पीछे की तैयारी और फाइनेंसिंग के लेवल को दिखाता है।
  • 2022 में मुजम्मिल-अदील और मुजफ्फर अहमद, ओकासा नाम के एक व्यक्ति के कहने पर तुर्की गए थे। उन्हें तुर्की में एक कॉन्टैक्ट के जरिए अफगानिस्तान भेजा जाना था। लेकिन एक हफ्ते तक इंतजार कराने के बाद हैंडलर पीछे हट गया।
  • ओकासा ने मुजम्मिल से एक टेलीग्राम ID के जरिए बात की थी। मुजम्मिल के हैंडलर के बारे में पूछने के बाद उनकी बातचीत और बढ़ गई।
  • उमर बम बनाने के वीडियो, मैनुअल और ऑनलाइन ओपन-सोर्स कंटेंट की स्टडी कर रहा था। उसने नूंह से केमिकल इंग्रेडिएंट्स, भागीरथ पैलेस और फरीदाबाद के NIT मार्केट से इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स खरीदे थे।
  • उमर ने केमिकल्स को स्टोर करने और एक्सप्लोसिव मिक्सचर तैयार करने के लिए एक डीप फ्रीजर भी खरीदा था। फ्रीजर का इस्तेमाल कंपाउंड को स्टेबल करने और प्रोसेस करने के लिए किया गया था।
  • अल-फलाह यूनिवर्सिटी कैंपस के अंदर पैसों को लेकर मुजम्मिल और उमर के बीच लड़ाई हुई थी, इस घटना को कई स्टूडेंट्स ने देखा था। झगड़े के बाद, उमर ने अपनी लाल इकोस्पोर्ट कार, जिसमें पहले से ही एक्सप्लोसिव मटीरियल था, मुजम्मिल को दे दी।

अल-फलाह की लैब से केमिकल्स बाहर ले जाने का शक

अल-फलाह यूनिवर्सिटी की केमिस्ट्री लैब में ग्लासवेयर एंट्री, कंज्यूमेबल रिकॉर्ड और केमिकल उठान का डेटा आपस में मेल नहीं खा रहा है। जांच एजेंसियों को शक है कि यह सब सामान बार-बार छोटे बैचों में लैब से बाहर ले जाया गया और इसे शैक्षणिक गतिविधियों के नाम पर छिपाया गया।

दैनिक भास्कर के सूत्रों के मुताबिक कुछ ग्लासवेयर की एंट्री तो दर्ज है, लेकिन न खपत दिखी, न टूट-फूट का रिकॉर्ड मिला। यह भी संदेह है कि जिन छोटे कंटेनरों और कांच के बर्तनों को बाहर ले जाया गया, वे वैज्ञानिक तरीके से विस्फोटक तैयार करने के लिए जरूरी उपकरण हैं और सटीक मिश्रण और स्टेबलाइजेशन टेस्टिंग में काम आते हैं।

दिल्ली ब्लास्ट की जांच में आतंकी डॉक्टर्स और उनके अलग-अलग हैंडलर्स का खुलासा इस बात का प्रमाण है कि यह हमला अत्यधिक पेशेवर, तकनीकी और बहुस्तरीय आतंकी नेटवर्क द्वारा संचालित था।
आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियाँ तथा महत्वपूर्ण खुलासे होने की संभावना है, जो पूरे मॉड्यूल की व्यापकता को सामने लाएंगे।

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