विश्व सनातन महापीठ: हरिद्वार में बनेगा 1000 करोड़ का महाप्रकल्प

सनातन बोर्ड की मांग तेज, देवकीनंदन ठाकुर बोले: “वक्फ बोर्ड है तो सनातन क्यों नहीं

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उत्तराखंड, 21 नवम्बर 2025 । हरिद्वार एक बार फिर आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण के केंद्र में है। कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने घोषणा की है कि हरिद्वार में लगभग ₹1000 करोड़ की लागत से ‘विश्व सनातन महापीठ’ का निर्माण किया जाएगा। यह परियोजना न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जा रही है, बल्कि इसे भारत की सनातन विरासत, अध्यात्म और भारतीय ज्ञान परंपरा को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने वाला संस्थागत मॉडल भी कहा जा रहा है।

क्या है विश्व सनातन महापीठ?
  • यह एक भव्य आध्यात्मिक परिसर होगा, जिसमें सनातन धर्म से जुड़े शोध केंद्र, गुरुकुल, वेद अध्ययन संस्थान, सांस्कृतिक संग्रहालय, यज्ञशाला, ध्यान केंद्र और वैश्विक धार्मिक संवाद मंच का निर्माण प्रस्तावित है।

  • परिसर में धर्मग्रंथों के डिजिटलीकरण, पुरातन सनातन साहित्य के संरक्षण और युवाओं को धर्म व संस्कृति से जोड़ने वाले कार्यक्रमों की भी योजना है।

  • इसका उद्देश्य सनातन संस्कृति को वैज्ञानिक, आधुनिक और शोध आधारित स्वरूप में दुनिया के सामने प्रस्तुत करना है।

सनातन बोर्ड की मांग—बहस के केंद्र में क्यों आया मुद्दा?

देवकीनंदन ठाकुर ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि जब देश में

  • वक्फ बोर्ड,

  • अल्पसंख्यक बोर्ड,

  • और अन्य धर्मों से जुड़े वैधानिक निकाय मौजूद हैं,

तो सनातन धर्म को भी एक आधिकारिक ‘सनातन बोर्ड’ मिलना चाहिए।

मांग के मुख्य तर्क
  1. धार्मिक स्थलों व संस्थानों का संरक्षण
    बोर्ड से मंदिरों और सनातन धार्मिक स्थलों की प्रशासनिक व्यवस्था अधिक पारदर्शी बन सकती है।

  2. गुरुकुल और वेद शिक्षण को संस्थागत आधार
    शास्त्र, वेद, उपनिषद और पुराण आधारित शिक्षा को औपचारिक ढांचा मिल सकेगा।

  3. धर्मार्थ कार्यों के लिए जवाबदेही
    दान, चढ़ावा और धार्मिक परियोजनाओं के लिए एक नियामक निकाय पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा।

  4. सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण
    प्राचीन ग्रंथों, परंपराओं, कला और संस्कारों को सरकारी व सामाजिक सहयोग के साथ संरक्षित किया जा सकेगा।

क्यों खास है हरिद्वार का चयन?
  • हरिद्वार हमेशा से सनातन धर्म के चार प्रमुख तीर्थों में से एक है।

  • यहाँ कुम्भ का आयोजन हर 12 साल में विश्व स्तर पर होता है।

  • गंगा की पवित्र धारा इसे आध्यात्मिक केंद्र का प्राकृतिक दर्जा देती है।

  • हज़ारों वर्षों से यहाँ ध्यान, साधना, सनातन अध्ययन की परंपरा चली आ रही है।

इसी कारण विश्व सनातन महापीठ को हरिद्वार में स्थापित करना ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से उपयुक्त माना जा रहा है।

परियोजना का व्यापक प्रभाव
  • यह प्रकल्प भारत की सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक मंच पर स्थापित करेगा।

  • धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

  • युवाओं को प्राचीन ज्ञान-विज्ञान, योग, आयुर्वेद और वेद अध्ययन से जोड़ने के अवसर बढ़ेंगे।

  • अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडलों के साथ धार्मिक संवाद और सनातन दर्शन के प्रसार को भी गति मिलेगी।

विश्व सनातन महापीठ की घोषणा और सनातन बोर्ड की मांग ने देशभर में नई बहस छेड़ दी है। समर्थक इसे सनातन धर्म की सुदृढ़ संस्थागत स्थापना बताते हैं, जबकि आलोचक इसे धर्म आधारित निकायों की राजनीति से जोड़कर देख रहे हैं।
हालांकि इतना तय है कि यह प्रकल्प हरिद्वार की आध्यात्मिक पहचान को और मजबूत करेगा तथा सनातन संस्कृति को नए आयाम देगा।

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