नेहरू आर्काइव लाइव: पूर्व प्रधानमंत्री से जुड़े दुर्लभ दस्तावेज़ों और तस्वीरों का डिजिटल खजाना जनता के लिए खुला
नई दिल्ली, 21 नवम्बर 2025 । भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से जुड़े महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज़ों, पत्रों, नोट्स और दुर्लभ तस्वीरों को सहेजने वाला नेहरू आर्काइव अब आधिकारिक रूप से लाइव हो गया है। यह डिजिटल आर्काइव जनता, शोधकर्ताओं, छात्रों और इतिहासकारों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन साबित होने वाला है, क्योंकि इसमें स्वतंत्र भारत की नींव और विचारधारा से जुड़ी अद्वितीय सामग्री उपलब्ध है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की लिखी बातें सिर्फ इतिहास नहीं, भारत की बदलती सोच का रिकॉर्ड हैं। जो कोई भी देश की लोकतांत्रिक यात्रा को समझना चाहता है, उसके लिए उनके शब्द एक शक्तिशाली दिशासूचक हैं।
राहुल की यह टिप्पणी जवाहरलाल नेहरू के चुने हुए कामों के डिजिटाइजेशन के पूरा होने पर आई। जवाहरलाल नेहरू के चुने हुए काम अब 100 वॉल्यूम के पूरे सेट के साथ ऑनलाइन कर दिए गए हैं।
इसमें देश के पहले प्रधानमंत्री से जुड़े लगभग 35,000 डॉक्यूमेंट्स और लगभग 3000 इलस्ट्रेशन हैं, जिन्हें डिजिटाइज किया गया है और इन्हें फ्री में डाउनलोड किया जा सकता है।
वॉल्यूम 44 से आगे यानी सितंबर 1958 से उनके भाषण ओरिजिनल हिंदी में और एक इंग्लिश ट्रांसलेशन भी उपलब्ध हैं। उनके लेटर, स्पीच, इंटरव्यू, फाइलों पर एडमिनिस्ट्रेटिव नोटिंग, डायरी एंट्री और यहां तक कि डूडल भी शामिल हैं।
डिजिटल आर्काइव की प्रमुख विशेषताएँ:
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हजारों दस्तावेज़ों और चित्रों को उच्च गुणवत्ता में स्कैन कर उपलब्ध कराया गया है।
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सामग्री विषयवार, वर्षवार और श्रेणीवार व्यवस्थित की गई है, जिससे खोज करना आसान हो गया है।
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इतिहास और राजनीति के शोधकर्ताओं को 1940–1964 के बीच की भारत की नीतियों और वैश्विक संबंधों के अध्ययन के लिए बड़ा आधार मिलेगा।
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यह पहल भारत की आधुनिक इतिहास की पारदर्शिता और जन-सुलभता को नई दिशा देती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस आर्काइव के लाइव होने से स्वतंत्र भारत के शुरुआती वर्षों की नीति निर्माण प्रक्रिया और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति को समझने में नई रोशनी मिलेगी।
नेहरू के विचारों और विकास मॉडल पर लंबे समय से चल रही बहस को अब ठोस प्राथमिक स्रोतों के आधार पर देखा जा सकेगा।
सरकार और संबंधित संस्थान उम्मीद कर रहे हैं कि यह डिजिटल संग्रह छात्रों में इतिहास के प्रति रुचि बढ़ाएगा और भारत के लोकतांत्रिक सफर को समझने में एक महत्वपूर्ण साधन बनेगा।
जयराम रमेश बोले- और खतों को ढूंढने की कोशिश जारी
जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल फंड (JNMF) के ट्रस्टी जयराम रमेश ने कहा कि इसके दूसरे फेज में नेहरू को लिखे गए खतों को ढूंढने की कोशिशें होंगी। रमेश ने कहा कि गांधी-नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल-नेहरू और सुभाष चंद्र बोस-नेहरू के बीच का लेटर काफी बड़ा है, लेकिन विंस्टन चर्चिल-नेहरू और रवींद्रनाथ टैगोर-नेहरू जैसे कुछ दूसरे लेटर के साथ ऐसा नहीं है।
उन्होंने कहा कि इसे शामिल करना नेहरू आर्काइव में सबसे बड़ा वैल्यू एडिशन होगा। अभी ओरिजिनल प्रिंट वर्जन की कॉपी भी डिजिटल टैक्स्ट के साथ उपलब्ध है।