इंटरनेट का ‘चौकीदार’ क्लाउडफ्लेयर फेल कैसे हुआ

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नई दिल्ली, 19 नवम्बर 2025 । क्लाउडफ्लेयर, जिसे इंटरनेट का “चौकीदार” कहा जाता है, दुनिया भर में लाखों वेबसाइट्स, एप्लिकेशन और सर्वर को सुरक्षा, स्पीड और स्थिरता प्रदान करता है। इसके बावजूद हाल ही में यह बड़े पैमाने पर फेल हो गया, जिससे कई देशों की हजारों वेबसाइटें, ऐप्स, पेमेंट सर्विसेज और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म अचानक ठप पड़ गए। इस घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया कि आखिर इतना मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर एक झटके में कैसे ध्वस्त हो गया?

कल शाम की बात है। राहुल का फोन अजीब व्यवहार करने लगा। X पर स्क्रॉल करता तो बस खाली स्क्रीन। चैट जीपीटी से डिनर में बनाने के लिए रेसिपी पूछना था, वो भी “समथिंग वेंट रॉन्ग” दिखाने लगा। राहुल ने सोचा शायद उसके फोन में ही प्रॉब्लम हो गई है।

उधर मुंबई में कॉलेज स्टूडेंट प्रिया कैन्वा पर अपना प्रोजेक्ट पूरा करने बैठी थी। अचानक ये चलना बंद हो गया। Wi-Fi ऑफ-ऑन किया, फोन रीस्टार्ट किया, कुछ नहीं हुआ। प्रिया ने दोस्त को फोन किया उसके साथ भी ऐसी ही समस्या हो रही थी।

धीरे-धीरे खबरें आने लगी कि पूरी दुनिया में ही इस तरह की समस्या आ रही है। पता चला कि क्लाउडफ्लेयर के सर्वर से जुड़ी कोई समस्या है। क्लाउडफ्लेयर को आप इंटरनेट का चौकीदार कह सकते है। वेबसाइट्स डेटा क्लाउडफ्लेयर से होकर गुजरता है।

छोटी सी परमिशन बदलने से लेटेंट बग एक्टिवेट हो गया था

पर ये सब हुआ कैसे। क्लाउडफ्लेयर ने अपनी ऑफिशियल ब्लॉग पोस्ट में पूरी घटना की डिटेल्ड रिपोर्ट जारी कर दी है। कंपनी ने माना कि यह कोई साइबर अटैक नहीं था, बल्कि उनके सिस्टम में सालों पुराना एक लेटेंट बग था जो रूटीन चेंज से एक्टिवेट हो गया।

  • क्लाउडफ्लेयर के CTO डेन नीक्ट ने बताया कि कंपनी ने डेटाबेस में रूटीन परमिशन चेंज करने से बॉट प्रोटेक्शन सिस्टम की कॉन्फिगरेशन फाइल में गलत एंट्रीज आने लगीं।
  • फाइल का साइज दोगुना हो गया। यह फाइल ग्लोबल नेटवर्क पर डिस्ट्रीब्यूट हुई तो हजारों सर्वर्स क्रैश हो गए क्योंकि सॉफ्टवेयर इतनी बड़ी फाइल हैंडल नहीं कर पाया।
  • फाइल हर कुछ मिनट में रीजनरेट हो रही थी, इसलिए समस्या बार-बार आती-जाती रही। यूजर्स को 500 एरर मैसेज दिख रहे थे। शाम 5-9 बजे तक ये समस्या रही।

कौन सी सर्विसेज सबसे ज्यादा प्रभावित हुईं

क्लाउडफ्लेयर दुनिया की 20% से ज्यादा वेबसाइट्स को कंटेंट डिलीवरी नेटवर्क, सिक्योरिटी और रूटिंग सर्विस देता है। आउटेज से 1.4 करोड़ से ज्यादा वेबसाइट्स प्रभावित हुई। इनमें X, चैटजीपीटी, वॉट्सएप, इंस्टाग्राम, स्पॉटिफाई, कैनवा, क्लॉड AI, उबर, जूम शामिल थीं। एक अनुमान के मुताबिक, दुनिया की हर पांचवीं वेबसाइट को क्लाउडफ्लेयर सर्विस देता है।

क्लाउडफ्लेयर की टीम ने तुरंत आपातकालीन मोड पर काम करते हुए अपडेट को रोलबैक किया, सर्वर कैश को रिफ्रेश किया और डेटा सेंटर्स के बीच ट्रैफिक रीरूट किया। कुछ ही घंटों में सेवा बहाल हो गई, लेकिन इस घटना ने यह साफ कर दिया कि विश्व की सबसे मजबूत टेक कंपनियां भी ‘सिंगल पॉइंट ऑफ फेलियर’ का शिकार हो सकती हैं।

इस फेलियर ने यह भी दिखाया कि वैश्विक इंटरनेट का एक बड़ा हिस्सा कितनी निर्भरता पर चल रहा है—सिर्फ एक कंपनी की गलती से पूरा डिजिटल इकोसिस्टम हिल सकता है। यह घटना भविष्य में और अधिक सुरक्षित, डीसेंट्रलाइज़्ड और मल्टी-क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर की ज़रूरत पर जोर देती है।

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