महबूबा मुफ्ती का बयान—“कश्मीर की परेशानी लाल किले के सामने गूंजी”

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श्रीनगर, 17 नवम्बर 2025 । पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने अपने हालिया बयान में कहा कि कश्मीर की असल परेशानियां अब देश की राजधानी में भी सुनी और महसूस की जा रही हैं। उनका इशारा दिल्ली में हुए हालिया विरोध प्रदर्शनों और उन आवाज़ों की ओर था, जिनमें कश्मीर से जुड़े मुद्दों को प्रमुखता से उठाया गया।

पीडीपी चीफ और जम्मू कश्मीर की पूर्व CM महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि 10 नवंबर को लाल किले पर हुआ विस्फोट देश भर में बढ़ती असुरक्षा की भावना और जम्मू-कश्मीर में केंद्र की नीतियों की विफलता को दिखाता है।

महबूबा ने कहा- आपने दुनिया को बताया कि कश्मीर में सब कुछ ठीक है, लेकिन कश्मीर की परेशानी लाल किले के सामने गूंज रही हैं। आपने जम्मू-कश्मीर को सुरक्षित बनाने का वादा किया था, लेकिन उसे पूरा करने के बजाय, आपकी नीतियों ने दिल्ली को असुरक्षित बना दिया है।

दिल्ली में लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास 10 नवंबर की शाम कार ब्लास्ट हुआ था। जिसमें पुलवामा के रहने वाले डॉ. उमर ने खुद को विस्फोटक समेत उड़ा दिया था। इस हमले में 13 लोगों की मौत हुई है, जबकि 20 से ज्यादा घायल हैं।

दिल्ली, हरियाणा, जम्मू कश्मीर और यूपी पुलिस समेत NIA, NSG, ED इस व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल की जांच कर रही हैं। अब तक इस मॉड्यूल से जुड़े 6 डॉक्टरों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

महबूबा के बयान की बड़ी बातें…

  • हिंदू-मुस्लिम की राजनीति करके वोट तो मिल सकते हैं, लेकिन देश किस दिशा में जा रहा है।दिल्ली के लोग शायद यह सोचते हैं कि जितना ज्यादा हिंदू-मुस्लिम विभाजन होगा, उतना ही खून-खराबा होगा, उतने ही ज्यादा वोट उन्हें मिलेंगे। मुझे लगता है कि उन्हें दोबारा सोचना चाहिए। देश कुर्सी से कहीं बड़ा है।
  • मैं ऐसा करने वाले युवाओं से फिर कहना चाहती हूं कि आप जो कर रहे हैं वह हर तरह से गलत है। यह न केवल आपके लिए, बल्कि आपके परिवार, जम्मू-कश्मीर और पूरे देश के लिए भी खतरनाक है। आप इतना बड़ा जोखिम इसलिए उठा रहे हैं क्योंकि आप अपने प्रियजन की जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं। कई निर्दोष लोगों की जिंदगी दांव पर लगी है।

महबूबा मुफ्ती ने स्पष्ट रूप से कहा कि कश्मीर का समाधान दमन नहीं, संवाद से निकल सकता है।
उनके अनुसार, केंद्र सरकार को यह समझना चाहिए कि मुद्दों को उठाना देशविरोध नहीं बल्कि लोकतंत्र की ताकत है।
यदि लाल किले के सामने कश्मीर की आवाज़ गूंज रही है, तो यह इस बात का संकेत है कि देश को उस दिशा में गंभीरता से कदम उठाने की जरूरत है।

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