मुंबई रिश्वतकांड में बड़ा खुलासा, जज और क्लर्क के खिलाफ दर्ज हुआ भ्रष्टाचार का मामला
मुंबई , 13 नवम्बर 2025 । मुंबई की न्यायपालिका से जुड़ा एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक जज और उनके क्लर्क पर रिश्वत लेने के गंभीर आरोप में एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB) ने मामला दर्ज किया है। इस घटना ने न्यायिक व्यवस्था की साख पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं और महाराष्ट्र की न्यायपालिका में हड़कंप मच गया है।
मुंबई के मझगांव सिविल सेशंस कोर्ट से जुड़ा एक रिश्वतकांड का मामला सामने आया है। ये पूरा वाकया मंगलवार का है, जब कोर्ट के क्लर्क और टाइपिस्ट चंद्रकांत वासुदेव (40) को ₹15 लाख रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया।
एंंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) के अनुसार शिकायतकर्ता ने 10 नवंबर को फैसला पक्ष में सुनाने के लिए ₹25 लाख की रिश्वत मांगने की शिकायत की थी। PTI न्यूज एजेंसी ने बताया कि ACB ने सिविल सेशंस कोर्ट के जज को भी आरोपी बनाया है।
10 साल पुराने मामले को समझें
शिकायतकर्ता की पत्नी ने 2015 में कंपनी की जमीन पर कब्जे को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। अप्रैल 2016 में हाईकोर्ट ने विवादित जमीन पर किसी तीसरे पक्ष को अधिकार देने पर रोक लगा दी थी। क्योंकि जमीन की कीमत 10 करोड़ रुपये से कम थी, इसलिए 2024 में मामला माजगांव सिविल सेशंस कोर्ट में भेज दिया गया।
इस साल 9 सितंबर को सुनवाई के बाद वासुदेव ने शिकायतकर्ता को फोन कर रिश्वत की बात बताई। उसने 12 सितंबर को चेंबूर में मुलाकात तय की, जहां फिर से ₹25 लाख की रिश्वत मांगकर उसके पक्ष में फैसला दिलाने का भरोसा दिया। उसने बताया कि जज की तरफ से वह बात कर रहा है। ₹25 लाख में से ₹10 लाख खुद के लिए और ₹15 लाख जज के लिए मांगे। शिकायतकर्ता ने रिश्वत देने से इनकार कर दिया, लेकिन क्लर्क बार-बार कॉल कर दबाव डालता रहा।
10 नवंबर को शिकायतकर्ता ने ACB के वर्ली कार्यालय में क्लर्क की रिश्वत मांगने की शिकायत की। उसी दिन, ACB के निर्देशानुसार, शिकायतकर्ता ने बातचीत करके रकम ₹15 लाख पर लाकर जल्द ही मिलने का फैसला किया। जांच में यह साबित हो गया कि वासुदेव ₹15 लाख लेने को तैयार था। इसके बाद 12 नवंबर को ACB ने चेंबूर के उसी स्टारबक्स कैफे में जाल बिछाया और क्लर्क को रिश्वत लेते हुए पकड़ लिया।
गिरफ्तारी के बाद वासुदेव ने जज को फोन कर बताया कि रकम मिल गई है। ACB ने इस बातचीत को रिकॉर्ड किया और उसके आधार पर जज को भी आरोपी बनाया। दोनों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7, 7(ए) और 12 के तहत केस दर्ज किया गया है।
ACB अधिकारियों ने बताया कि जज की गिरफ्तारी के लिए प्रधान जिला न्यायाधीश से अनुमति मांगी गई है और फिलहाल मंजूरी का इंतजार है। वहीं, गिरफ्तार क्लर्क को बुधवार को ACB अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे 16 नवंबर तक ACB की हिरासत में भेज दिया गया।
मुंबई का यह रिश्वतकांड न्याय व्यवस्था के भीतर व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ एक गंभीर चेतावनी है। जज और क्लर्क जैसे जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों से अपेक्षा होती है कि वे कानून की रक्षा करें, न कि उसका दुरुपयोग। यह मामला न्याय प्रणाली की विश्वसनीयता पर असर डाल सकता है, इसलिए त्वरित और निष्पक्ष जांच आवश्यक है।