इस्लामाबाद, 13 नवम्बर 2025 । पाकिस्तान की राजनीति में इन दिनों बड़ा संवैधानिक तूफान मचा हुआ है। वहां की संसद ने संविधान के 48 अनुच्छेदों में एकसाथ संशोधन को मंजूरी दे दी है। इस कदम को सरकार ने “राष्ट्रहित में सुधार” बताया है, जबकि विपक्ष ने इसे “लोकतंत्र की जड़ों पर प्रहार” करार दिया है। इस संशोधन ने पूरे देश में राजनीतिक और संवैधानिक बहस छेड़ दी है।
पाकिस्तान की संसद ने बुधवार को आर्मी चीफ आसिम मुनीर की शक्तियों को बढ़ाने और सुप्रीम कोर्ट के ताकत को कम करने वाले 27वें संवैधानिक संशोधन को मंजूरी दे दी। पाकिस्तानी ऑब्जर्वर की रिपोर्ट के मुताबिक, इस संशोधन में 48 आर्टिकल में बदलाव का प्रस्ताव दिया गया है।
नेशनल असेंबली ने इस बिल को 234 मतो की बहुमत से पास किया। चार सांसदों ने विरोध में वोट दिया, जबकि सीनेट ने इसे दो दिन पहले ही मंजूर कर लिया था। राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के साइन के बाद यह कानून बन जाएगा।
मुनीर को तीनों सेनाओं का चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (CDF) बनाया जा रहा है। यह 27 नवंबर 2025 से लागू हो जाएगा। पद मिलते ही उन्हें परमाणु हथियारों की कमांड मिल जाएगी। अपना कार्यकाल पूरा होने के बाद भी वह अपने पद पर बने रहेंगे और उन्हें आजीवन कानूनी छूट मिलती रहेगी।
वहीं, जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने इसे लोकतंत्र के खिलाफ बताया। कुछ विपक्षी दलों ने बिल की कॉपियां फाड़ दीं।
आर्मी के हाथों में परमाणु कमांड
27वें संविधान संशोधन का एक बहुत खास हिस्सा है नेशनल स्ट्रैटजिक कमांड (NSC) का गठन। यह कमांड पाकिस्तान के परमाणु हथियारों और मिसाइल सिस्टम की निगरानी और नियंत्रण करेगी।
अब तक यह जिम्मेदारी नेशनल कमांड अथॉरिटी (NCA) के पास थी, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते थे, लेकिन अब से NSC के पास इसकी जिम्मेदारी हो जाएगी।
NSC का कमांडर भले ही प्रधानमंत्री की मंजूरी से नियुक्त होगा, लेकिन यह नियुक्ति सेना प्रमुख (CDF) की सिफारिश पर ही होगी। सबसे जरूरी यह पद सिर्फ आर्मी के अफसर को ही दिया जाएगा।
कोर्ट में जजों की नियुक्ति सरकार के हाथों
इस बिल में आठ नए संशोधन जोड़े गए हैं, जो सीनेट के पहले मंजूर संस्करण का हिस्सा नहीं थे। सबसे बड़ी बदलाव न्यायपालिका से जुड़ी है। अब सभी संवैधानिक मामले सुप्रीम कोर्ट से हटाकर ‘फेडरल कांस्टीट्यूशनल कोर्ट’ में बदल जाएंगे, जिसके जजों की नियुक्ति सरकार करेगी।
हाल के वर्षों में सुप्रीम कोर्ट ने कई सरकारी नीतियों को रोका था और प्रधानमंत्रियों को पद से हटाया था, जिसे देखते हुए यह कदम उठाया गया है।
10 मुख्य संशोधन…
- सेना प्रमुख को चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेस की जिम्मेदारी मिलेगी
- अगर किसी अधिकारी को फील्ड मार्शल, मार्शल ऑफ द एयर फोर्स या एडमिरल ऑफ द फ्लीट की रैंक दी जाती है, तो यह रैंक आजीवन रहेगी।
- फील्ड मार्शल को राष्ट्रपति जैसी सुरक्षा, बिना सरकार की इजाजत के कोई आपराधिक मुकदमा नहीं चल सकता।
- वर्तमान मुख्य न्यायाधीश अपनी अवधि पूरी होने तक चीफ जस्टिस बने रहेंगे
- फेडरल कान्सटीट्यूशन कोर्ट की स्थापना होगी
- याचिकाओं पर सुओ मोटो (स्वतः संज्ञान) लेने का अधिकार
- कानूनी नियुक्तियों में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की अहम भूमिका रहेगी
- राष्ट्रपति को कार्यकाल के बाद कोई सार्वजनिक पद लेने पर छूट सीमित
- हाई कोर्ट जजों के तबादले न्यायिक आयोग तय करेगा
- तबादलों पर आपत्ति सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल देखेगी
पाकिस्तान का यह संवैधानिक बदलाव देश की राजनीति को गहराई से प्रभावित कर सकता है। एक ओर सरकार इसे सुधार बताती है, वहीं दूसरी ओर आलोचकों के अनुसार यह लोकतंत्र के बुनियादी ढांचे पर खतरा है। आने वाले समय में सुप्रीम कोर्ट में इस संशोधन को चुनौती मिलने की पूरी संभावना है, जिससे पाकिस्तान की संवैधानिक राजनीति का नया अध्याय शुरू होगा।