भारत की शराब कंपनियाँ दे रहीं 14 गुना तक रिटर्न – निवेशकों के लिए बना सुनहरा दौर, FMCG सेक्टर में नई हलचल
नई दिल्ली, 03 नवम्बर 2025 । चार साल में दुनियाभर में शराब की खपत में तेज गिरावट आई है। अमेरिका, यूरोप और चीन जैसे बाजारों में डियागो, पर्नोड रिकर्ड, रेमी क्वाइंट्रेयू और ब्राउन फोर्मेन जैसी बड़ी कंपनियों के शेयर 75% तक टूटे हैं और उद्योग का मूल्यांकन 74 लाख करोड़ रुपए घटा है। सस्वास्थ्य जागरुकता, बदलती जीवनशैली और महंगाई इसके प्रमुख कारण हैं। अब ये कंपनियां नॉन-अल्कोहलिक उत्पादों की ओर बढ़ रही हैं। डियाजियो ने ‘रिचुअल जीरो प्रूफ’ खरीदा है, जबकि कार्लसबर्ग और कंपारी-मिलानो ने भी ऐसे ब्रांड लॉन्च किए हैं।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के 50 प्रमुख शराब ब्रांडों के शेयर जून 2021 से औसतन 46% गिरे हैं। वहीं, भारत में शराब की खपत लगातार बढ़ रही है। 2005 में प्रति व्यक्ति खपत 2.4 लीटर से बढ़कर 2016 में 5.7 लीटर हो गई, 2030 तक 6.7 लीटर तक पहुंचने का अनुमान है। भारत का शराब बाजार 60 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है। चार साल में यूनाइटेड स्पिरिट्स, रेडिको खेतान और ग्लोबस स्पिरिट्स के शेयर 14 गुना बढ़े हैं। राज्यों को शराब बिक्री से 19,730 करोड़ राजस्व मिला है।
4 साल में मप्र में 86%, राजस्थान में 29% तक बढ़ी शराब की खपत
मप्र में 2021-22 में 245.33 लाख ली. शराब की खपत हुई थी, जो 2024-25 में 456.44 लाख ली. हो गई यानी 86% का इजाफा। इसी दौरान, राजस्थान में यह 235.86 से 304.16 लाख ली. हो गई यानी 28.95% की बढ़ोतरी हुई।
क्या कारण रहे?
- फ्यूचर मार्केट इनसाइट्स के अनुसार, देश की 60% आबादी 35 वर्ष से कम है, जिससे शराब बाजार बढ़ रहा।
- ‘डब्ल्यूएचओ ग्लोबल रिपोर्ट’ में पाया गया कि भारत में महिलाओं में शराब खपत बीते दो दशकों में 50% बढ़ी है।
- स्टेटिस्टा और रिपोर्टलिंक रिसर्च कहती हैं कि भारत में औसत आय में 30% वृद्धि हुई है, इसी के साथ ब्रांडेड और प्रीमियम शराब की मांग सालाना 18% बढ़ रही।
बाजार विश्लेषक यह भी मानते हैं कि आने वाले वर्षों में भारत का अल्कोहल सेक्टर $50 बिलियन से अधिक का हो सकता है। हालांकि, विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि यह क्षेत्र नीति परिवर्तनों, कराधान और सामाजिक प्रतिबंधों के प्रति संवेदनशील है, इसलिए निवेश सोच-समझकर करना आवश्यक है।
फिलहाल, जो निवेशक 4-5 साल पहले इस उद्योग में उतरे थे, उन्होंने अभूतपूर्व रिटर्न अर्जित किया है। यह प्रवृत्ति बताती है कि भारत का पेय उद्योग (Beverage Sector) अब केवल उपभोग तक सीमित नहीं, बल्कि निवेश का भी आकर्षक केंद्र बन गया है।