नई दिल्ली, 47 लंबे सालों का इंतज़ार आखिरकार खत्म हुआ — जब भारतीय टीम ने विश्व मंच पर अपनी प्रतिभा, जज्बे और जुनून का लोहा मनवाते हुए वर्ल्ड चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया। यह केवल एक खेल की जीत नहीं थी, बल्कि 1.4 अरब भारतीयों के सपनों, उम्मीदों और मेहनत की जीत थी। इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने हर गली, हर गांव और हर शहर में खुशियों की लहर दौड़ा दी।
भारत ने 1978 में पहला विमेंस वर्ल्ड कप खेला था। तब से 1 नवंबर 2025 तक टीम एक भी ICC ट्रॉफी नहीं जीत पाईं थी। रविवार को 47 साल का सूखा खत्म हुआ। भारत ने साउथ अफ्रीका को 52 रन से फाइनल हराकर पहला वनडे वर्ल्ड कप अपने नाम कर लिया।
शेफाली वर्मा फाइनल में हाफ सेंचुरी लगाने वाली सबसे युवा बल्लेबाज बनीं। दीप्ति को प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया। वे एक टूर्नामेंट में भारत के लिए सबसे ज्यादा विकेट लेने वाली बॉलर भी बनीं। स्मृति मंधाना ने भारत के लिए वर्ल्ड कप के एक एडिशन में सबसे ज्यादा रन बनाए।
भारतीय विमेंस टीम ने पहली ICC ट्रॉफी जीती भारतीय विमेंस ने अपने क्रिकेट करियर की पहली ICC ट्रॉफी जीत ली। टीम इससे पहले 2005, 2017 वनडे वर्ल्ड कप और 2020 टी-20 वर्ल्ड कप में रनर-अप रही थी।
मंधाना इस वर्ल्ड कप की सेकेंड टॉप स्कोरर स्मृति मंधाना इस वर्ल्ड कप की सेकेंड टॉप स्कोरर रहीं। उन्होंने 9 मैच में 434 रन बनाए। पहले नंबर पर साउथ अफ्रीका की कप्तान लौरा वोल्वार्ट रहीं। उन्होंने 571 रन बनाए।
दीप्ति इस वर्ल्ड कप की टॉप विकेट टेकर दीप्ति शर्मा ने इस विमेंस वर्ल्ड कप में 22 विकेट चटकाए। वे टूर्नामेंट की टॉप विकेट टेकर बनीं। दीप्ति भारत के लिए वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा विकेट लेने के मामले में दूसरे नंबर पर भी पहुंच गईं। उनके नाम अब 35 विकेट हो गए। पूर्व तेज गेंदबाज झूलन गोस्वामी 43 विकेट के साथ टॉप पर हैं।
दीप्ति को प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब भी मिला। उन्होंने 22 विकेट लेने के साथ 215 रन भी बनाए। वे वर्ल्ड कप में 200 प्लस रन के साथ 20 विकेट लेने वालीं दुनिया की पहली महिला प्लेयर भी बनीं।
यह जीत सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं, बल्कि उस भरोसे की पुनर्स्थापना है कि भारत हर क्षेत्र में विश्व का नेतृत्व करने की क्षमता रखता है। 47 साल का इंतजार भले ही लंबा था, लेकिन आज की यह उपलब्धि आने वाले दशकों तक स्मृतियों में अंकित रहेगी — एक प्रेरणा, एक गर्व, और एक संकल्प के रूप में।