देव उठनी एकादशी: जब भगवान जगते हैं और आपकी किस्मत करवट लेती है
कल्पना कीजिए — पूरी सृष्टि मौन है, जीवन ठहर सा गया है… और अचानक भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं! बस वही क्षण है जब ऊर्जा, चेतना और सौभाग्य एक साथ जग उठते हैं। इस दिन केवल देवता नहीं, बल्कि आपकी किस्मत, आपके अवसर और आपके अधूरे सपने भी करवट लेते हैं।
देव उठनी एकादशी, जिसे प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है, चातुर्मास के अंत की घोषणा करती है —
चार महीनों की वह अवधि जब भगवान विश्राम करते हैं और दुनिया की गति थम सी जाती है।
अब जब भगवान जागते हैं, तो यह दिन कहता है —
✨ “उठो, संभलो और अपने जीवन की नई पटकथा लिखो।”
🌺 यह दिन है आत्मा के रीस्टार्ट बटन को दबाने का!
यह सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि आध्यात्मिक डिटॉक्स डे है।
यह दिन है पुराने बोझ, असफलताओं और नकारात्मकताओं को छोड़कर नई चेतना और नई शुरुआत को अपनाने का।
🌞 आज करें ये 3 शुभ कर्म — बनें पूरे वर्ष सुपर प्रोएक्टिव और ऊर्जावान:
🌿 तुलसी दल अर्पित करें:
तुलसी केवल पौधा नहीं, वह जीवन की सांस है। तुलसी दल अर्पित करने से मन और घर दोनों शुद्ध होते हैं, और जीवन में सच्ची समृद्धि आती है।
🪔 तुलसी के पास 11 दीपक जलाएं:
प्रत्येक दीपक को अपने किसी अधूरे स्वप्न से जोड़ें। जैसे-जैसे दीपक जलेंगे, वैसे-वैसे आपकी नकारात्मक ऊर्जा जलकर राख हो जाएगी।
🔱 108 बार “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र जप करें:
यह मंत्र सिर्फ शब्द नहीं, एक कम्पन तरंग (frequency) है जो आपकी आत्मा को दिव्यता से जोड़ देती है। 108 जप = 108 नई संभावनाओं का द्वार।
🌼 देव उठनी एकादशी का संदेश:
“भगवान तब जागते हैं जब आप भीतर से जागते हैं।”
यह दिन याद दिलाता है कि हर अंत के बाद एक नई शुरुआत होती है —
बस आपको पहला कदम उठाना है, और फिर ब्रह्मांड खुद आपका मार्ग बनाता है।
तो आज उठिए… अपनी सोच को जगाइए, अपने कर्मों को पुनर्जीवित कीजिए,
क्योंकि देव उठनी एकादशी वही दिन है जब आपके जीवन की नयी सुबह आरंभ होती है। 🌅