नई दिल्ली, टीम इंडिया के शानदार फॉर्म के बावजूद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हालिया हार ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मुकाबला केवल स्कोरबोर्ड की हार नहीं थी, बल्कि रणनीति, चयन और परिस्थितियों के आकलन की असफलता का भी परिणाम साबित हुआ।
सबसे बड़ी चूक टीम इंडिया की बल्लेबाज़ी क्रम और उसकी गति में नज़र आई। टॉप ऑर्डर के बल्लेबाज़ पावरप्ले में दबाव नहीं झेल सके। ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाजों ने नई गेंद से स्विंग और सीम मूवमेंट का पूरा फायदा उठाया, जबकि भारतीय बल्लेबाज़ शुरुआत से ही बचाव की मुद्रा में दिखे। इस कारण रन रेट पर दबाव बढ़ता गया और मध्यक्रम जल्दी टूट गया।
भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर वनडे सीरीज हार चुकी है। तीन मैचों के शुरुआती दो मुकाबलों में ऑस्ट्रेलिया ने एकतरफा जीत हासिल की। दोनों ही वनडे में टीम इंडिया बल्लेबाजी, गेंदबाजी और फील्डिंग में बुरी तरह पिट गई। भारत के खराब प्रदर्शन के पीछे पांच बड़े कारण रहे। इन सभी को एक-एक कर जानते हैं।
पर्थ और एडिलेड दोनों ही जगह कंडीशन ऐसी थी कि पहले फील्डिंग करने वाली टीम को फायदा मिलता, लेकिन भारतीय कप्तान शुभमन गिल दोनों ही टॉस हार गए। भारत को दोनों बार पहले बल्लेबाजी करनी पड़ गई और टीम इंडिया किसी भी मैच में पर्याप्त स्कोर नहीं बना सकी।
पर्थ में बारिश के कारण चार बार भारतीय पारी रोकी गई। इससे टीम को कभी मोमेंटम नहीं मिल पाया। शुरुआत में गेंद काफी सीम और स्विंग भी हो रही थी। इससे भी परेशानी बढ़ी। एडिलेड में भी मैच से एक दिन पहले तक बारिश हुई थी। पिच लंबे समय तक कवर के नीचे रही थी और उसमें काफी नमी थी। इसका फायदा ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाजों ने उठाया। वनडे क्रिकेट को टॉप-3 बल्लेबाजों का खेल कहा जाता है। ऊपर के तीन में से एक बल्लेबाज भी शतक जमा दे तो टीम का बड़ा स्कोर लगभग तय रहता है, लेकिन भारत के टॉप-3 दोनों मैच में कुछ कमाल नहीं कर सके। कप्तान शुभमन गिन ने पर्थ में 10 और एडिलेड में 9 रन बनाए। विराट कोहली दोनों बार जीरो पर आउट हुए। रोहित शर्मा ने एडिलेड में अच्छी बल्लेबाजी की, लेकिन पर्थ में वे भी फेल रहे थे। यानी दो मैचों में भारत के टॉप-3 बल्लेबाजों की कुल 6 पारियों में सिर्फ एक हाफ सेंचुरी आई। 2 मैच मिलाकर तीनों प्लेयर्स 100 रन ही बना सके।
मानसिक रूप से भी ऑस्ट्रेलियाई टीम कहीं अधिक तैयार दिखी। उनके खिलाड़ियों ने दबाव की परिस्थितियों में बेहतर संयम दिखाया और गेम की स्थिति को अपने पक्ष में मोड़ दिया। वहीं, भारत के खिलाड़ियों में आत्मविश्वास की कमी और जल्दबाजी साफ झलक रही थी।
कुल मिलाकर, यह हार सिर्फ एक मैच नहीं बल्कि टीम इंडिया के सामरिक दृष्टिकोण की परीक्षा थी। अब आवश्यकता है कि कोचिंग स्टाफ और चयनकर्ता आगामी श्रृंखलाओं में संतुलित टीम संयोजन के साथ मैदान में उतरें, ताकि ऐसी रणनीतिक कमजोरियाँ दोबारा न दोहराई जाएँ।