मॉस्को , 24 अक्टूबर 2025 । रूस और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव के बीच, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक बार फिर दुनिया को स्पष्ट संदेश दिया है। पुतिन ने कहा है कि यदि अमेरिका या उसके सहयोगी देशों की ओर से टॉमहॉक मिसाइलों के माध्यम से रूस या उसके हितों पर हमला किया गया, तो रूस “तुरंत और निर्णायक जवाब” देगा। इस बयान के बाद वैश्विक भू-राजनीतिक स्थिति और अधिक संवेदनशील हो गई है।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गुरुवार को कहा कि अगर हम पर अमेरिकी टॉमहॉक मिसाइलों से हमला किया गया तो इसका कड़ा जवाब देंगे। पुतिन का ये बयान अमेरिका के दो रूसी तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने के बाद आया है।
हालांकि, पुतिन बातचीत के लिए भी तैयार दिखे। पुतिन ये भी बोले, ‘टकराव या किसी भी विवाद में बातचीत हमेशा बेहतर होती है। हमने हमेशा बातचीत जारी रखने का समर्थन किया है।’
दरअसल, 22 अक्टूबर को ट्रम्प-पुतिन के बीच प्रस्तावित बैठक रद्द होने के बाद अमेरिका ने रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लूकोइल पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसका मकसद रूस को जंग में मिल रही फंडिंग पर रोक लगाना है।
पुतिन ने ट्रम्प के इस कदम की आलोचना की और संबंधों के बिगड़ने की बात कही। दरअसल, ट्रम्प अपने कार्यकाल की शुरुआत में रूस से अच्छे संबंध बनाना चाहते थे, लेकिन यूक्रेन जंग पर सीजफायर से बार-बार इनकार करने पर वे पुतिन से नाराज थे।
पुतिन बोले- अमेरिकी प्रतिबंध से तेल की कीमतें बढ़ेंगी
पुतिन ने आगे कहा कि रूसी तेल पर प्रतिबंध से सप्लाई कम होगी, जिससे तेल की कीमतें बढ़ेंगी। मैंने ट्रम्प से इस बारे में बात की थी। न सिर्फ रूस, बल्कि अमेरिका और पूरी दुनिया में तेल महंगा हो सकता है।
वहीं, यूएस ट्रेजरी विभाग ने कहा कि रूस जंग रोकने को लेकर गंभीर नहीं है, इसलिए ये प्रतिबंध लगाए गए हैं। इस फैसले से अमेरिका के अधिकार क्षेत्र में आने वाली इन कंपनियों की सभी संपत्ति और हितों को प्रभावी रूप से ब्लॉक कर दिया गया है।
2 रूसी कंपनियों और 36 सहायक कंपनियों पर प्रतिबंध
रोसनेफ्ट रूस की सरकारी कंपनी है, जो तेल की खोज, रिफाइनिंग और बिक्री में एक्सपर्ट है। लूकोइल एक निजी स्वामित्व वाली इंटरनेशनल कंपनी है, जो रूस और विदेश दोनों जगह तेल और गैस की खोज, रिफाइनिंग, मार्केटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन में काम करती है।
इन दोनों कंपनियों की 50% या उससे ज्यादा की डायरेक्ट या इनडायरेक्ट हिस्सेदारी वाली 36 सहायक कंपनियों पर भी प्रतिबंध लागू किए गए हैं।
रूस पहले से ही अपनी मिसाइल डिफेंस प्रणाली S-400 और S-500 को सक्रिय कर चुका है। साथ ही, उसने अपने सामरिक परमाणु बलों को भी “उच्च सतर्कता” पर रखने का आदेश दिया है। इससे स्पष्ट है कि मॉस्को किसी भी संभावित हमले की तैयारी कर चुका है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ ने चेतावनी दी है कि अगर यह तनाव और बढ़ा, तो यह वैश्विक सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।
वर्तमान परिदृश्य में, पुतिन का यह बयान केवल एक सैन्य चेतावनी नहीं, बल्कि दुनिया को यह याद दिलाने वाला संदेश भी है कि रूस अब भी अपनी रक्षा और वैश्विक शक्ति संतुलन के प्रति बेहद आक्रामक रुख अपनाए हुए है।