ट्रम्प का दावा — “भारत दिसंबर तक रूसी तेल खरीदना बंद करेगा”, वैश्विक ऊर्जा राजनीति में नई हलचल

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वॉशिंगटन, 23 अक्टूबर 2025 । अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बयान देकर अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा बाजार में नई हलचल मचा दी है। उन्होंने दावा किया है कि भारत दिसंबर 2025 तक रूस से कच्चे तेल की खरीद बंद करने जा रहा है। यह बयान ऐसे समय आया है जब रूस पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंध जारी हैं और भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए विविध स्रोतों से तेल खरीद रहा है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने फिर से कहा है कि भारत अब रूस से तेल की खरीद धीरे-धीरे कम कर रहा है और साल के आखिर तक इसे लगभग खत्म कर देगा। उन्होंने कहा कि खुद PM मोदी ने उन्हें यह भरोसा दिया है।

व्हाइट हाउस में बुधवार को पत्रकारों से बात करते हुए ट्रम्प ने कहा, “तेल खरीदना एक ऐसी प्रक्रिया है जिसे तुरंत रोकना संभव नहीं है, लेकिन साल के अंत तक वे इसे जीरो कर देंगे। कल ही मेरी प्रधानमंत्री मोदी से इस बारे में बातचीत हुई है। यह एक बड़ी बात है, यह लगभग 40 प्रतिशत तेल है।”

ट्रम्प का रूसी तेल खरीद पर दिए पुराने बयान

  • 15 अक्टूबर: मैंने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की। उन्होंने मुझे आश्वासन दिया कि भारत रूस से तेल नहीं खरीदेगा, यह एक बड़ा कदम है।
  • 17 अक्टूबर: भारत रूस से तेल नहीं खरीदेगा, वे पहले 38% खरीदते थे और अब ‘पुलिंग बैक’ कर रहे हैं।
  • 19 अक्टूबर: मैंने प्रधानमंत्री मोदी से बात की और उन्होंने कहा कि वे रूस से तेल नहीं करेंगे। अगर वे ऐसा कहना चाहें कि नहीं की बात हुई, तो उन्हें भारी टैरिफ चुकाना होगा और उन्हें वह नहीं करना होगा।
  • 21 अक्टूबर: मैंने मोदी से बात की। उन्होंने मुझे यकीन दिया कि भारत रूस से तेल की खरीद को कम करेगा। वह चाहते हैं कि जंग समाप्त हो, जैसे मैं चाहता हूं।”

ट्रम्प बोले- ओबामा-बाइडेन की वजह से भारत-चीन करीब आए

ट्रम्प ने आगे चीन का जिक्र करते हुए कहा कि “रूस और चीन के रिश्ते ऐतिहासिक रूप से कभी बहुत अच्छे नहीं रहे, लेकिन बाइडेन और ओबामा की नीतियों की वजह से दोनों देश अब एक-दूसरे के करीब आ गए हैं। उन्हें इतना करीब नहीं आना चाहिए था।”

भारत पर प्रतिबंध का मकसद रूस पर दबाव बनाना

अमेरिका ने रूस पर दबाव बनाने के लिए भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। ट्रम्प कई बार यह दावा कर चुके हैं कि, भारत के तेल खरीद से मिलने वाले पैसे से रूस, यूक्रेन में जंग को बढ़ावा देता है। ट्रम्प प्रशासन रूस से तेल लेने पर भारत के खिलाफ की गई आर्थिक कार्रवाई को पैनल्टी या टैरिफ बताता रहा है।

ट्रम्प भारत पर अब तक कुल 50 टैरिफ लगा चुके हैं। इसमें 25% रेसीप्रोकल यानी जैसे को तैसा टैरिफ और रूस से तेल खरीदने पर 25% पैनल्टी है। रेसीप्रोकल टैरिफ 7 अगस्त से और पेनल्टी 27 अगस्त से लागू हुआ। व्हाइट हाउस प्रेस सचिव केरोलिना लेविट के मुताबिक इसका मकसद रूस पर सेकेंडरी प्रेशर डालना है, ताकि वह युद्ध खत्म करने पर मजबूर हो सके।

अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक यह भी मानते हैं कि ट्रम्प का यह बयान आगामी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की रणनीति से भी जुड़ा हो सकता है, जिसमें वे अमेरिका की वैश्विक नेतृत्व भूमिका को पुनर्स्थापित करने की छवि बनाना चाहते हैं।

अब सभी की निगाहें भारत की आधिकारिक प्रतिक्रिया पर टिकी हैं — क्या भारत वास्तव में रूस से तेल खरीद बंद करेगा, या यह बयान केवल राजनीतिक बयानबाज़ी भर है? आने वाले हफ्तों में यह स्पष्ट हो जाएगा कि भारत की ऊर्जा कूटनीति किस दिशा में जाती है।

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