मध्यप्रदेश में हर जिले में दवाओं की जांच की तैयारी — नकली और घटिया दवाओं पर कसेगा शिकंजा
भोपाल , 22 अक्टूबर 2025 । मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य में स्वास्थ्य सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। अब राज्य के हर जिले में दवाओं की गुणवत्ता की जांच के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य नकली, मिलावटी और घटिया दवाओं के प्रसार को रोकना तथा जनता को सुरक्षित और प्रभावी चिकित्सा उपलब्ध कराना है।
मध्यप्रदेश में जहरीले सिरप से 26 बच्चों की मौत के बाद अब राज्य सरकार दवाओं में होने वाली मिलावट की जांच माइक्रो लेवल पर कराने की तैयारी कर रही है। इसके लिए दवाओं की जांच के पूरे सिस्टम को अपग्रेड करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है।
दावा है कि जिलों में मोबाइल लैब की मदद से जांच की जाएगी। इस बदलाव पर करीब 211 करोड़ रुपए खर्च करने की तैयारी है। यह प्रस्ताव राज्य औषधि सुरक्षा और नियामक सुदृढ़ीकरण योजना (SSDRS 2.0) के तहत केंद्र सरकार को भेजा गया है। अब तक दवाओं की जांच सिर्फ भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर तक सीमित थी, लेकिन अब हर जिले में ड्रग इंस्पेक्टर का स्वतंत्र कार्यालय बनाया जाएगा। इसके लिए 110 करोड़ का प्रावधान है। 50 करोड़ की लागत से चारों स्टेट ड्रग लैब को अपग्रेड किया जाएगा।
एक माइक्रोबायोलॉजी लैब भी तैयार होगी। वहां वे जांचें भी हो सकेंगी, जो अब तक नहीं हो पा रही थी। अफसरों का तर्क है कि इससे हर दवा की गुणवत्ता की जांच और निगरानी मजबूत होगी।
हर जिले में ड्रग इंस्पेक्टर का अलग ऑफिस होगा दवाओं की जांच के लिए अब हर जिले में ड्रग इंस्पेक्टर का स्वतंत्र कार्यालय बनाया जाएगा। अभी छोटे जिलों में ड्रग इंस्पेक्टर्स दूसरे कार्यालयों में जहां जगह होती है, वहां बैठते हैं। नए ऑफिस में आधुनिक आईटी सिस्टम, सर्वर, कंप्यूटर और प्रशिक्षण हॉल समेत तमाम जरूरी इंतजाम होंगे।
दवा निरीक्षण, लाइसेंसिंग और रिपोर्टिंग प्रक्रिया ऑनलाइन हो जाएगी। इससे दवाओं की सैंपलिंग, उनकी मॉनिटरिंग और जांच तीनों की रफ्तार बढ़ जाएगी। नए ड्रग इंस्पेक्टर्स के पदों पर भर्ती होगी।
2 करोड़ से ट्रेनिंग सेंटर, 4 करोड़ के हैंडहेल्ड डिवाइस आएंगे
- 4 करोड़ के हैंडहेल्ड डिवाइस खरीदे जाएंगे, जिनसे दवा की मौके पर ही जांच की जा सकेगी। मोबाइल लैब भी खरीदी जाएंगी।
- 36 करोड़ ड्रग इंस्पेक्टर, लैब असिस्टेंट, केमिस्ट व डेटा एंट्री ऑपरेटर की भर्ती-सैलरी के लिए।
- 2 करोड़ से प्रशिक्षण केंद्र बनेगा। अफसरों को आधुनिक जांच तकनीकों की ट्रेनिंग देंगे।
इस योजना के तहत राज्य के मेडिकल कॉलेजों और सरकारी प्रयोगशालाओं को भी आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित किया जाएगा ताकि दवा जांच प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाया जा सके। इसके साथ ही, दवा विक्रेताओं के लिए भी जागरूकता अभियान चलाया जाएगा ताकि वे केवल प्रमाणित स्रोतों से दवाएं खरीदें।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम न केवल जनस्वास्थ्य की रक्षा करेगा, बल्कि जनता का भरोसा भी बढ़ाएगा। यदि यह मॉडल सफल होता है, तो अन्य राज्यों में भी इसी प्रकार की पहल को लागू किया जा सकता है।