नई दिल्ली, 22 अक्टूबर 2025 । इस त्योहारी सीजन में भारतीय बाजारों में एक उल्लेखनीय बदलाव देखने को मिला है। आंकड़ों के अनुसार, इस साल 87% उपभोक्ताओं ने चीनी उत्पादों के बजाय भारतीय सामान को प्राथमिकता दी है। यह बदलाव न केवल उपभोक्ताओं की सोच में स्वदेशी भावना के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत अभियान की दिशा में एक बड़ी सफलता भी माना जा रहा है।
इस बार दिवाली फेस्टिव ट्रेड 25% बढ़कर 6.05 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया। इसमें से 5.40 लाख करोड़ रुपए की बिक्री सामान की हुई, और 65,000 करोड़ रुपए सर्विसेज से आई। पिछले साल यानी 2024 में ये आंकड़ा 4.25 लाख करोड़ रुपए था।
ये आंकड़े 21 अक्टूबर 2025 को CAIT की रिपोर्ट में सामने आए हैं। इस रिपोर्ट का नाम ‘रिसर्च रिपोर्ट ऑन दीवाली फेस्टिवल सेल्स 2025’ है, जो 60 बड़े डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर्स पर सर्वे से बनी है। इसमें स्टेट कैपिटल्स, टियर-2 और टियर-3 सिटीज शामिल हैं।
इंडियन प्रोडक्ट ज्यादा बिके, चाइनीज प्रोडक्ट की डिमांड घटी
इस बार 87% कंज्यूमर्स ने इंडियन मेड गुड्स चुने, जिससे चाइनीज प्रोडक्ट्स की डिमांड में गिरावट आई। ट्रेडर्स ने बताया कि इंडियन प्रोडक्ट्स की बिक्री पिछले साल से 25% ज्यादा हुई। ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘स्वदेशी दीवाली’ का असर साफ दिखा।
- कुल ट्रेड का 85 % हिस्सा नॉन-कॉर्पोरेट और पुराने बाजारों से आया।
- ग्रामीण और सेमी-अर्बन इलाकों ने भी 28 प्रतिशत योगदान दिया।
- यानी, बड़े मॉल्स से ज्यादा फिजिकल मार्केट्स की वापसी हुई है।
GST रेट घटने से इस बार सामानों की डिमांड बढ़ी
GST रेट्स कम करने का फायदा देखने को मिला। 72% ट्रेडर्स ने बताया कि डेली यूज वाले आइटम्स जैसे फुटवियर, गारमेंट्स, मिठाई, होम डेकोर और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स पर छूट से सेल्स वॉल्यूम बढ़ा। सरकार के GST घटाने के कारण फेस्टिव मूड को और मजबूत किया।
कुल सेल्स में किराना और FMCG की 12% हिस्सेदारी रही
CAIT के नेशनल प्रेसिडेंट बी.सी. भारतीय ने कहा कि सेक्टर के हिसाब से, किराना और एफएमसीजी का कुल बिक्री में 12% हिस्सेदारी रही। इसके बाद…
- गोल्ड और ज्वेलरी 10%, होम डेकोर और फर्निशिंग्स मिलाकर 10%। इलेक्ट्रॉनिक्स 8%, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स 7%, रेडीमेड गारमेंट्स 7%, गिफ्ट आइटम्स 7%।
- मिठाई-नमकीन 5%, टेक्सटाइल्स 4%, पूजा आर्टिकल्स 3%, फ्रूट्स-ड्राई फ्रूट्स 3%, बेकरी 3%, फुटवियर 2%। बाकी मिसलेनियस आइटम्स ने 19% कवर किया।
- पैकेजिंग, हॉस्पिटैलिटी, कैब सर्विसेज, ट्रैवल, इवेंट मैनेजमेंट, टेंट और सजावट, मैनपावर और डिलीवरी जैसी सर्विसेज के सेक्टर में करीब 65,000 करोड़ रुपए का कारोबार हुआ।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रवृत्ति केवल भावनात्मक नहीं, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। भारतीय सामानों की खरीदारी से देश की अर्थव्यवस्था में पैसा घूमता है, जिससे रोजगार सृजन और उत्पादन क्षमता दोनों में बढ़ोतरी होती है।
सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियानों का सीधा असर अब बाजारों में दिखाई देने लगा है। उपभोक्ताओं की इस सोच ने यह साबित कर दिया है कि भारतीय ब्रांड अब केवल विकल्प नहीं, बल्कि प्राथमिकता बन चुके हैं।