नई दिल्ली, 21 अक्टूबर 2025 । हाल ही में, वर्ल्ड डायरेक्टरी ऑफ मॉडर्न मिलिट्री एयरक्राफ्ट (WDMMA) द्वारा जारी की गई वैश्विक वायुसेना रैंकिंग में भारत ने चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की तीसरी सबसे शक्तिशाली वायुसेना का दर्जा प्राप्त किया है। इस उपलब्धि ने चीन में खलबली मचा दी है, और चीनी मीडिया ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। WDMMA की रैंकिंग के अनुसार, भारत की वायुसेना को 69.4 का ‘TruVal Rating’ प्राप्त हुआ है, जबकि चीन की वायुसेना का स्कोर 63.8 है। अमेरिका 242.9 के स्कोर के साथ पहले स्थान पर है, जबकि रूस 114.2 के साथ दूसरे स्थान पर है। भारत की वायुसेना के पास 1,716 विमान हैं, जिनमें 31.6% लड़ाकू विमान, 29% हेलीकॉप्टर और 21.8% ट्रेनर विमान शामिल हैं। इसके विपरीत, चीन के पास 3,733 विमान हैं, लेकिन उनकी वायुसेना की गुणवत्ता और संचालन क्षमता अपेक्षाकृत कमजोर मानी गई है।
दुनिया की एयरफोर्स पावर की एक नई रैंकिंग में भारत को तीसरा स्थान मिला है। भारत से आगे सिर्फ अमेरिका और रूस हैं, जबकि चीन चौथे स्थान पर है। इसे लेकर चीन का सरकारी मीडिया बौखला गया है।
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने चीनी मिलिट्री एक्सपर्ट झांग जुन्शे के हवाले से लिखा कि इस रैंकिंग को गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि केवल वास्तविक युद्ध क्षमता ही किसी सेना की असली ताकत दिखाती है, कागज पर दिखाया गया आंकड़ा नहीं।
ग्लोबल टाइम्स लिखता है कि भारतीय वायुसेना अपने विमान और उपकरण अमेरिका, रूस और बाकी देशों से खरीदती है। इससे पता चलता है कि भारत की विदेश और सुरक्षा नीतियां कितनी जटिल हैं।
झांग ने कहा कि अमेरिकी और भारतीय मीडिया की हाइप का मकसद चीन-भारत प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना हो सकता है और यह गलतफहमी की खतरनाक चेन शुरू कर सकता है।
भारत के पास विमान कम, ऑपरेशन क्षमता ज्यादा
भारत के पास कुल विमानों की संख्या चीन से कम है, लेकिन ऑपरेशन क्षमता कहीं अधिक है। इसका कारण है भारतीय वायुसेना का संतुलित बेड़ा, बेहतर प्रशिक्षण और आधुनिक हथियार प्रणाली।
भारत के पास 1,716 एयरक्राफ्ट हैं, जिनमें 31.6% फाइटर जेट्स, 29% हेलीकॉप्टर और 21.8% ट्रेनर एयरक्राफ्ट शामिल हैं। चीन के पास 3,733 एयरक्राफ्ट हैं, जो कि भारत से ज्यादा है, लेकिन उसकी गुणवत्ता और संचालन क्षमता अपेक्षाकृत कमजोर मानी गई है।
भारत ने पायलट ट्रेनिंग, फ्लेक्सिबल डिप्लॉयमेंट और क्विक मिशन एक्सिक्यूशन पर फोकस किया है। जबकि चीन अब भी भारी फ्लीट पर निर्भर है।
भारत का एयर फ्लीट भी बैलेंस्ड है 31.6% फाइटर्स, 29% हेलिकॉप्टर्स और 21.8% ट्रेनर्स हैं जो हर स्थिति में ऑपरेशन को आसान बनाता है। वहीं चीन का एयरफ्लीट 68.7% फाइटर्स, 24.4% हेलिकॉप्टर और 10.7% टेनर्स है।
रैंकिंग में चीन से 5 पाइंट आगे भारत
यह रैंकिंग वर्ल्ड डायरेक्टरी ऑफ मॉडर्न मिलिटरी एयरक्राफ्ट (WDMMA) ने बनाई है। यह संस्था दुनिया के 48 हजार से ज्यादा विमानों पर नजर रखती है। WDMMA की रैंकिंग में आंकलन के लिए TruVal Rating का इस्तेमाल होता है।
WDMMA रैंकिंग में 103 देशों और 129 एयर सर्विसेज (आर्मी, नेवी और मरीन एविएशन ब्रांच) को शामिल किया गया है। न्यूजवीक के मुताबिक, रैंकिंग में भारत का ऊपर आना एशिया के रणनीतिक संतुलन में बदलाव का संकेत है।
इसमें सिर्फ विमानों की संख्या नहीं देखी जाती, बल्कि कई कारक शामिल होते हैं। इनमें प्रमुख हैं;
- विमान की उन्नत तकनीक और आधुनिकीकरण
- ऑपरेशनल ट्रेनिंग और तैयारी
- लॉजिस्टिक सपोर्ट और रखरखाव
- घरेलू उत्पादन क्षमता
- मिशन विविधता
भारत की वायुसेना की यह उपलब्धि न केवल सैन्य दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत की बढ़ती रणनीतिक शक्ति और आत्मनिर्भरता को भी दर्शाती है। हालांकि, चीन की प्रतिक्रिया से यह स्पष्ट होता है कि क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धा और शक्ति संतुलन में बदलाव से संबंधित चिंताएँ बनी हुई हैं। भारत को अपनी वायुसेना की क्षमता को निरंतर बढ़ाते हुए, क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा परिदृश्यों में अपनी स्थिति मजबूत करने की आवश्यकता है।