नई दिल्ली, क्रिकेट की दुनिया में अगर किसी टीम को निरंतरता, जुनून और प्रभुत्व का प्रतीक कहा जाए, तो वह है ऑस्ट्रेलिया। चाहे टेस्ट हो, वनडे या टी20 — हर फॉर्मेट में ऑस्ट्रेलियाई टीम ने ऐसा वर्चस्व कायम किया है जो किसी भी दूसरी टीम के लिए प्रेरणा बन गया। यह सिर्फ खिताबों की बात नहीं, बल्कि उस मानसिकता की बात है जो ऑस्ट्रेलिया को “क्रिकेट का डॉन” बनाती है।
तीन बयान पढ़िए…
- हारना हमारे शब्दकोश में नहीं: रिकी पोंटिंग
- हम अपनी टीम रीबिल्ड नहीं करते, रीलोड करते हैं: इयान चैपल
- सिर्फ जीतना मकसद नहीं, हम डोमिनेट करना चाहते हैं: स्टीव वॉ
तीन पूर्व कप्तानों के ये बयान ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट की फिलोसॉफी बताते हैं। खेलो ऐसे जिसमें हारना कोई विकल्प ही न हो। टीम उतारो ऐसी जिससे प्रतिद्वंद्वी खौफ खाएं। और जीतो इस तरह कि उसकी गूंज भविष्य में होने वाले मुकाबलों में भी सुनाई दे।
पूरे ऑस्ट्रेलिया में करीब-करीब उतने ही लोग रहते हैं जितने दिल्ली या मुंबई जैसे हमारे एक शहर में। इसके बावजूद ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट की दुनिया का डॉन है।
इस समय भारतीय टीम क्रिकेट के डॉन को उसके डैन में चैलेंज करने गई है। दौरे पर तीन वनडे और पांच टी-20 मैच खेले जाने हैं। पहला मैच कल खेला जाएगा। आज पढ़िए क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया के डोमिनेंस की पूरी कहानी। इस कहानी को तीन हिस्सों में जानेंगे।
ऑस्ट्रेलिया का क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि एक संस्कृति है — मेहनत, अनुशासन और आत्मविश्वास की संस्कृति। यही कारण है कि चाहे समय कितना भी बदल जाए, ऑस्ट्रेलिया हमेशा क्रिकेट का डॉन बना रहेगा।