मराठा आरक्षण आंदोलन: मुंबई पुलिस ने जरांगे को भेजा नोटिस

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नई दिल्ली,02 सितंबर, मुंबई पुलिस ने मंगलवार को मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे और उनके समर्थकों को नोटिस जारी करके आजाद मैदान खाली करने का कहा है। जरांगे यहां मराठा आरक्षण की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं।

पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, आंदोलनकारियों ने प्रदर्शन से पहले तय की गई शर्तों और बॉम्बे हाईकोर्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया है। 7-8 लोगों पर केस भी दर्ज किया गया है। जरांगे का मुंबई के आजाद मैदान पर भूख हड़ताल पांचवां दिन है।

दरअसल, अनशन के चौथे दिन जरांगे के समर्थकों ने छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT) रेलवे स्टेशन कैंपस को खेल के मैदान में बदल दिया था। सड़क पर कबड्डी, खो-खो और कुश्ती खेलते नजर आए थे। कुछ प्रदर्शनकारी क्रिकेट भी खेले थे। इससे ट्रैफिक जाम हो गया था।

आम लोगों के साथ ही बॉम्बे हाईकोर्ट के जज भी ट्रैफिक में फंस गए थे। प्रदर्शनकारियों ने उनकी कार रोकी थी, जिसके चलते जज पैदल ही हाईकोर्ट पहुंचे थे। इसके बाद मराठा आरक्षण से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए उन्होंने प्रशासन को मंगलवार तक सड़कें खाली कराने को कहा था।

मनोज जरांगे 29 अगस्त से आजाद मैदान में भूख हड़ताल कर रहे हैं। वे अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) श्रेणी के तहत सरकारी नौकरियों और शिक्षा में मराठा समुदाय को 10% आरक्षण देने की मांग कर रहे हैं। उन्हें केवल 1 दिन के प्रदर्शन की परमिशन थी। हालांकि बीते 4 दिन बिना परमिशन जारी है। सोमवार से उन्होंने पानी पीना भी बंद कर दिया है।

कोर्ट ने कहा- सरकार मंगलवार तक बताएं, क्या एक्शन लिया

कोर्ट ने सीएसटी, मरीन ड्राइव, फ्लोरा फाउंटेन और दक्षिण मुंबई के अन्य इलाकों से आंदोलनकारियों को हटाने का आदेश राज्य सरकार को दिया है। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार कल होने वाली सुनवाई में बताए कि क्या एक्शन लिया गया।

सरकारी वकील वीरेंद्र सराफ ने कोर्ट को बताया कि आजाद मैदान में विरोध प्रदर्शन की अनुमति केवल 29 अगस्त तक दी गई थी। जरांगे और उनके समर्थकों ने हर नियम का उल्लंघन किया है।

बेंच ने कहा कि जरांगे का पुलिस को दिया गया यह आश्वासन कि वह जनसभा, आंदोलन और विरोध प्रदर्शन के नियमों में निर्धारित सभी शर्तों का पालन करेंगे, यह केवल ‘दिखावटी’ है।

मराठा समुदाय सामाजिक रूप से सबसे शक्तिशाली जरांगे ने मांग की है कि मराठा समुदाय को केवल कुनबी मानकर ओबीसी आरक्षण दिया जाए, लेकिन सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि ऐसा आरक्षण नहीं दिया जा सकता। सरकार का कहना है कि यह मांग अदालत में भी नहीं टिकेगी। यह मामला पेचीदा है।

ओबीसी श्रेणी में मराठा समुदाय से कुछ ज्यादा पिछड़ी जातियां हैं। इसलिए आशंका है कि यदि मराठा समुदाय को सामान्य रूप से आरक्षण दिया जाता है तो इसका असर इन जातियों पर पड़ेगा। इसलिए सरकार इस संबंध में विचार कर रही है।

महाराष्ट्र में मराठा समुदाय सामाजिक रूप से सबसे शक्तिशाली है। वे जहां भी हैं, वहां सबसे बड़ा हिस्सा लेने की क्षमता रखते हैं। चाहे वह ओपन कोटा हो या 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस कोटा, वे इसका 6-7 प्रतिशत हिस्सा लेते हैं।

मतलब ये कि उनमें दूसरों की तुलना में एक बड़ा लाभार्थी होने की पर्याप्त क्षमता है। इसलिए आशंका है कि यदि मराठा जाति को ओबीसी श्रेणी में शामिल किया जाता है, तो कुनबी, तेली-तंबोली जैसी शेष जातियों का आरक्षण प्रभावित होगा।

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